जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, जीवन में व्याप्त सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना से होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलश तैयार करते समय भक्त अनजाने में कई गलतियां कर देते हैं? आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) के लिए कलश स्थापना समय के बारे में सब कुछ-
धार्मिक मान्यता है कि चैत्र का महीना जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस महीने चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा और आराधना की जाती है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि नवरात्रि व्रत से सुख-समृद्धि बढ़ती है।
चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शनिवार, 30 मार्च को शाम 4:27 बजे से शुरू होगी। प्रतिपदा तिथि 31 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इस उद्देश्य से 30 मार्च को घट स्थापना की जाएगी। इसी के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मार्च को घट स्थापना का समय सुबह 6:13 बजे से 10:22 बजे तक है। इस दौरान भक्त स्नान-ध्यान करके कलश स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापित किया जा सकता है। इन दो शुभ योगों के दौरान घट स्थापना की जा सकती है।
सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि कलश स्थापना शुभ समय पर की जानी चाहिए। इससे साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि या रात्रि के समय कलश स्थापना न करें। ऐसा करने से देवी दुर्गा अप्रसन्न होती हैं। मां के नाराज होने से भक्त को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए किसी योग्य ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेकर कलश स्थापना का सही समय जान लें। इसके बाद कलश स्थापित करें और देवी मां दुर्गा की पूजा करें।
ब्रह्मांड की जननी मां दुर्गा बहुत दयालु और कृपालु हैं। वे अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। मानसिक और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भी ज्योतिषी देवी दुर्गा की पूजा करने की सलाह देते हैं।
रंग पंचमी भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह पर्व होली के ठीक पाँच दिन बाद आता है और इस दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है।
पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और शास्त्रों के अनुसार, इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला बताया गया है।
रंग पंचमी 2025 इस वर्ष 21 मार्च को मनाई जाएगी। यह पर्व होली के पांचवें दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है और इस दिन वे भी गीले रंगों से होली खेलते हैं।
पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।