पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत, पूजा और उपाय करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी पर किए गए उपवास, दान-पुण्य, पूजा और उपायों से मनुष्य के समस्त पाप ख़त्म हो जाते हैं। इस व्रत से केवल मोक्ष की प्राप्ति ही नहीं होती, बल्कि सांसारिक और शादी-शुदा जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। जो मनुष्य श्रद्धा से इस व्रत पर इन उपायों को करता है, वह जीवन के हर मुश्किल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। युवाओं और विद्यार्थियों को यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिए, क्योंकि युवावस्था में वे अनजाने में और कभी-कभी जानबूझकर गलतियां कर बैठते हैं, ऐसे में यह पर्व उन्हें पाप मुक्त होने में मदद करता है।
हिन्दू धर्म मे नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर रामनवमी तक चलने वाला यह पर्व भक्तों के लिए देवी के चरणों में समर्पण का प्रतीक बन जाता है। इस बार नवरात्रि 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी।
चैत्र नवरात्रि और सालभर में पड़ने वाली सभी नवरात्रियों में अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति का अर्थ है—ऐसी ज्योति जो खंडित न हो। नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मुख्य रूप से नवरात्रि में माता पार्वती के सभी रूपों की पूजा की जाती है, लेकिन देवी के सभी रूप आम लोगों के लिए नहीं होते। यही कारण है कि साल में चार नवरात्रि होने के बावजूद केवल दो नवरात्रि ही आम लोगों द्वारा मनाई जाती हैंI
नवरात्रि में देवी की साधना और अध्यात्म का अद्भुत संगम होता है। इन दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख एवं परेशानियों से छुटकारा मिलता है।