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चैत्र नवरात्रि 2025 के नियम

चैत्र नवरात्रि 2025 के नियम

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि के दौरान इन यम-नियम का करें पालन, जानें सही तरीका और सावधानियां


चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। नवरात्रि के दौरान नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है, ताकि आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि बनी रहे। यदि आप भी इस साल नवरात्रि का व्रत रखने का संकल्प ले रहे हैं, तो आपको इसकी संपूर्ण प्रक्रिया और नियमों को जानना आवश्यक है।


समय पालन और आहार के नियम


व्रत के दौरान सही दिनचर्या का पालन करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है।


जल्दी उठें: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मांसाहार और नशे से बचें: इस दौरान मांस, शराब, तंबाकू और अन्य अपवित्र वस्तुओं का सेवन न करें।

व्रत में उपयोगी सामग्री: फल, दूध, दही, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, आलू और मूंगफली आदि का सेवन करें।

तेल और नमक का चयन: सरसों और तिल के तेल की जगह मूंगफली के तेल या घी का उपयोग करें। सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का सेवन करें।


व्यक्तिगत स्वच्छता और अनुशासन के नियम


व्रत के दौरान मानसिक और शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है।


  • स्वच्छता बनाए रखें: नहाने के बाद ही पूजा करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • नाखून और बाल न काटें: नवरात्रि के दौरान नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढ़ी बनाने से बचें।
  • शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा स्थल और घर में साफ-सफाई बनाए रखें।
  • चमड़े की वस्तुओं का उपयोग न करें: चमड़े से बनी चीजों का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है।


व्रत के दौरान व्यवहारिक नियम और सावधानियां


  • दिन में सोने से बचें: नवरात्रि व्रत के दौरान दिन में अधिक सोना वर्जित है, क्योंकि यह आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रभावित करता है।
  • महिलाओं का सम्मान करें: इस दौरान महिलाओं का अपमान करना अशुभ माना जाता है।
  • घर में सकारात्मक माहौल बनाए रखें: घर में सुख-शांति बनी रहे, इसके लिए नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • पूजा में मन लगाएं: देवी के मंत्रों का जाप करें और पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें।
  • बीमार और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष निर्देश: गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बीमार व्यक्ति व्रत न रखें या डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।


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श्री कृष्ण चालीसा

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।

दिखा दे थारी सुरतियाँ(Dikha de Thari Suratiya)

श्याम सलोनो प्यारो म्हारो, मैं लुल लुल जावा
मन को मोर्यो नाचन लाग्यो झूम झूम गावा ,

दिखाऊं कोनी लाड़लो, नजर लग जाए(Dikhao Koni Ladlo Najar Lag Jaaye)

दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,

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