हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है। ये विशेष पर्व हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नौ दिनों तक चलता है। इस बार 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। खासकर हिंदू नववर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है, जो नई उम्मीदों और संकल्पों का संचार करता है।
इस बार चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की सवारी हाथी होगी। माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी। इसे बहुत ही शुभ सवारी माना जाता है। मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत रविवार से होती है, तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। यह बहुत ही शुभ होता है। मां दुर्गा का हाथी पर आगमन बहुत ही शुभ माना जाता है। वहीं माता रानी का प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा। इस बार नवरात्रि शुभ है, मां का हाथी पर सवार होना भी शुभ संकेत माना जाता है। जिसमें धन-समृद्धि बढ़ती है और देश में खूब बारिश होती है।
हाथी पर सवार होकर आने वाली मां दुर्गा किसानों को अच्छी फसल देती हैं, प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति दिलाती हैं, लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं और ज्ञान में वृद्धि करती हैं। कहा जाता है कि जब मां हाथी पर आती हैं तो अपने साथ समृद्धि और खुशियां लेकर आती हैं और हर तरफ लाभ ही लाभ होता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
मां दुर्गा का हाथी पर आगमन इस बात का प्रतीक है कि साल 2025 में अच्छी बारिश होगी और देश में खेती-किसानी अच्छी होगी। इसके साथ ही अन्न-धन के भंडार में बढ़ोतरी होगी। सुख-समृद्धि आएगी, इसलिए इस साल चैत्र नवरात्रि को बहुत ही शुभ और सौभाग्यशाली माना जा रहा है।
कुम्भ मेला एक ऐसा अवसर है जब श्रद्धालु पुण्य अर्जित करने के लिए संगम स्नान, दान और ध्यान करते हैं। इस पवित्र अवसर पर यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि हम कोई ऐसा कार्य न करें जिससे पाप का अर्जन हो जाए।
इस साल, 13 जनवरी से 27 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत संगम के तट पर एकत्रित होंगे, जहां पवित्र गंगा, यमुना और संगम के जल में स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
महाकुंभ का मेला हर बार अपार श्रद्धा और धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। विशेष पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति के साथ, यह स्नान जीवन को नई दिशा और शांति प्रदान करता है।
अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा।