Logo

जतमई घटरानी मंदिर- रायपुर, छत्तीसगढ़ (Jatmai Ghatrani Temple- Raipur, Chhattisgarh)

जतमई घटरानी मंदिर- रायपुर, छत्तीसगढ़ (Jatmai Ghatrani Temple- Raipur, Chhattisgarh)

जतमई घटरानी मंदिर छत्तीसगढ़ के दक्षिण पूर्व हाइलैंड्स में रायपुर से लगभग 85 किमी दूर स्थित है। घटरानी और जतमई 2 अलग-अलग स्थान हैं यहां एक झरना है जो इस मंदिर के ठीक बगल में स्थित है। छत्तीसगढ़ का ये मंदिर किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। यहां का झरना सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है। मंदिर साल भर खुला रहता है। जतमई और घटरानी एक धार्मिक स्थल के रुप में प्रसिद्ध है। जतमई मंदिर जतमई माता को समर्पित है, जो हिंदू धर्म की देवी दुर्गा का एक रुप हैं। मंदिर के पास सुंदर झरना है जो मां के चरणों को छूकर बहता है।


जतमई माता का मंदिर


जतमई माता का मंदिर सफेद रंग से पेंट किया हुआ है यह दूर से देखने पर ताजमहल की भांति सफेद संगमरमर जैसा दिखता है। मां जतमई का मंदिर चारो तरफ से पेड़ पौधों से घिरा हुआ है। ये पूरा इलाका एक जंगल की तरह लगता है। मंदिर के आसपास छोटे-छोटे चट्टान भी देखने को मिल जाएंगे। मंदिर में मुख्य मूर्ति जतमई माता की है और इनके नाम पर ही पूरे परिसर को जाना जाता है। पूरे परिसर में 3 से ज्यादा बड़े बड़े मंदिर है जिनमें अलग अलग देवी देवता विराजमान है। इनमे से कुछ भगवान के नाम है जो मंदिर में विराजमान है शंकर जी, काली माता, दुर्गा माता, नरसिंह देव और राधा कृष्ण। इसी परिसर में जतमई माता के अलावा कुछ मंदिर भी है जो काफी लोकप्रिय है। हनुमान जी की प्रतिमा और नाग गुफा। जतमई में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा एक विशाल प्रतिमा है। इस प्रतिमा में हनुमान जी को राम और लक्ष्मण जी को कंधे में उठाये हुए दिखाया गया है। ये प्रतिमा काफी ऊंची भी है। इस प्रतीमा तो परिसर के किसी भी कोने से आसानी से देखा जा सकता है।


नाग गुफा, जतमई मंदिर


जतमई मंदिर से लगी हुई नाग गुफा है। कहा जाता है कि जतमई माता के रक्षक नाग इसी गुफा में रहते थे। वर्तमान में गुफा में एक साधु दिखते हैं जो यहां आने वालों को रक्षासूत्र बांधकर आशीर्वाद देते हैं। गुफा से कुछ दूरी पर बजरंगबली की विशाल प्रतिमा दिखाई देती है। प्रतिमा के बगल में विशाल गद्दा और गले में बड़ी सी माला है। जंगल के बीच में स्थित इस प्रतिमा के आस पास से पानी की धारा बहती है जो आगे जतमई मंदिर के पास और पहले छोटे-बड़े झरने में बदल जाती है। झरने के आगे कुंड बना हुआ है। कई पर्यटक आपको यहां पर स्नान करते हुए दिखेंगे। यहां गिरते झरने की आवाज कुछ दूर तक सुनाई देती है।


जतमई मंदिर का इतिहास


जतमई मंदिर का निर्माण लगभग 20वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। यहां की देवी को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। मंदिप परिसर में मौजूद शिवलिंग के पीछे एक दिलचलस्प और पौराणिक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि शहर के मछुआरे इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाना चाहते थे। उन्होंने मूर्ति को बाहर निकालने के लिए गहरी खुदाई शुरु की, लेकिन, शिवलिंग गड्डे में और गहराई में चला गया। आखिरकार, उन्होंने मूर्ति को स्थानांतरित करने का प्रयास छोड़ दिया। ये मंदिर अपनी पवित्रता और दिव्यता के लिए स्थानीय लोगों द्वारा बहुत चर्चित है।


जतमई मंदिर की वास्तुकला


जतमई माता का मंदिर जंगल के बीच स्थित है। मंदिर की वास्तुकला एक विशाल मीनार और इसके शिखर के रुप में प्रदर्शित कई छोटे-छोटे टावरों के साथ आश्चर्यजनक है। मंदिर को ग्रेनाइट से उकेरा गया है, जो इसे सुंदर और प्रभावशाली स्वरुप देता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर कई खूबसूरत पौराणित भित्ति चित्र देखे जा सकते हैं। सीढ़ियों की उड़ान के आधार पर जतमई माता की मूर्ति परिसर के भीतर एक गर्भगृह में स्थित है। रास्ते में ऊपर जाने पर एक और छोटी सन्निधि में एक सुंदर शिवलिंग है। पहाड़ी के एक तरफ विशाल चट्टानी पहाड़ी से पानी बहता है जो एक जलाशय में एकत्रित हो जाता है। कोई भी इस खूबसूरत जगह को तस्वीरों में कैद कर सकता है क्योकिं यहां पर फोटोग्राफी के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।


धार्मिक महत्व


जतमई माता को विशेष रुप स नवरात्रि के दौरान पूजा जाता है। इस समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां का प्रमुख त्योहार नवरात्रि है, जब दूर-दूर से भक्ता माता के दर्शन के लिए आते हैं।


घटरानी मंदिर 

 

घटरानी जतमई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और इसका प्रमुख आकर्षण यहां का जलप्रताप और देवी घटरानी का मंदिर है। मां घटरानी प्राकृतिक रुप से निर्मित छोटी गुफा में स्थापित है जिसके ऊपर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के पास एक झरना है। झरने की एक धारा गर्भगृह से होकर बहती है जो माता के चरणों को स्पर्श करती है। नवरात्र में यहां ज्योतिकलश की स्थापना होती है। 


जतमई मंदिर का समय


जतमई मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है। सुबह 5 बजे से 7 बजे तक खुला रहता है मंदिर। हालांकि त्योहारों की वजह से समय में थोड़ा परिवर्तन हो सकता है। जतमई माता मंदिर छत्तीसगढ़ में आरती दिन में दो होती है, एक सुबह 5:30 बजे और दूसरी शाम 6:30 बजे।


कैसें पहुंचे मंदिर


हवाईमार्ग - जतमई मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा रायपुर है। रायपुर से आप टैक्सी एवं बस के द्वारा जतमई और घटरानी पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - जतमई मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रायुपर है, जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ हैं। रायपुर से जतमई और घटरानी तक जाने के लिए टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।


सड़क मार्ग - जतमई और घटरानी रायपुर से लगभग 87 किलोमीटर की दूरी पर है। रायपुर से यहां तक पहुंचने के लिए नियमित बस सेवा और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।


........................................................................................................
मरने के बाद क्या होता है

मरने के बाद क्या होता है, आत्मा कैसे शरीर छोड़ती है और कैसे दूसरा शरीर धारण करती है। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है।

कार्तिक मास का धार्मिक महत्व

शरद पूर्णिमा के समापन के बाद कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व प्राप्त है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।

पाताल लोक में क्यों सोते हैं भगवान

सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।

भगवान विष्णु और तुलसी विवाह

सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang