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मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन नगरी में महाकालेश्वर मंदिर के अलावा भी कई ऐसे पौराणिक मंदिर है जो अपने आप में अनोखे हैं। इन मंदिरों के पीछे कई कहानियां, किवंदती और कथाएं हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर पूजा अर्चना करने वाले हर व्यक्ति की कुंडली से बुरे दोष का नाश हो जाता है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मंगल भारी होता है वह ग्रह की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन करवाने के लिए पहुंचते हैं। पूजन के पश्चात कुंडली में उग्र रूप में स्थापित मंगल शांत हो जाता है। इसी मान्यता के चलते हर साल लोग यहां पर पूजा करवाने के लिए पहुंचते हैं जिनमें कुछ अविवाहित और कुछ विवाहित जोड़े भी शामिल होते हैं। मंगलनाथ मंदिर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर एक पहाड़ी पर स्थित है। तो आइए उज्जैन के मंगलनाथ के धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।
मंगल देवता का जन्म स्थान:
उज्जैन न केवल महाकाल का पावन धाम है बल्कि यह धरतीपुत्र मंगल देवता का जन्म स्थान भी है। शिप्रा नदी के किनारे स्थित इस दिव्य धाम पर जाकर विधि-विधान से मंगल देवता की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है। सप्तपुरियों में से एक इस प्राचीन नगरी में मंगल देवता का यह मंदिर अत्यंत ही सिद्ध और सभी मनोरथ को पूरा करने वाला है। इस मंदिर में मंगल देवता शिवलिंग के स्वरूप में विराजमान हैं। हालांकि लोगों का मानना है कि भगवान शिव ही मंगलनाथ के रूप में यहां पर मौजूद हैं।
मंगलनाथ का महत्व
मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में जो भी व्यक्ति पूजा करवाता है उसे नवग्रहों की पूजा का विशेष लाभ मिलता है। शांत मन से की गई पूजन कुंडली में उग्र रूप धारण किए हुए मंगल को शांत करती है। यहां भगवान की पूजन अर्चन की बात की जाए तो सुबह 6 बजे मंगल आरती होती है लेकिन मंगलवार के दिन मंदिर में अलग ही नजारा देखने को मिलता है। वाहन और भूमि की प्राप्ति समेत मंगल दोष शांत करने के लिए श्रद्धालु पूजन अर्चन करने का इंतजार करते दिखाई देते हैं। जो भी श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं वह मंगलनाथ के दर्शन करने जरूर जाते हैं, यह मंदिर देशभर में खास पहचान रखता है। पहले यह मंदिर कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद एक चबूतरे पर स्थापित था लेकिन अब इसका विस्तारीकरण कर दिया गया है और यह भव्य बन चुका है।
मंगलनाथ मंदिर की भात पूजा
मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष के निवारण और मनेाकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रतिदिन भात पूजा का विधान है। ज्योतिष के अनुसार मंगल प्रधान व्यक्तियों को क्रोध बहुत आता है या फिर कहें कि उनका मन बहुत अशांत रहता है। ऐसे में उनके मन को नियंत्रित करने और और उनकी कुंडली के मंगल दोष को दूर करने के लिए उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में विशेष रूप से भात पूजा कराई जाती है, जिसके पुण्य लाभ से मंगल से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं और साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।
मंगलनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास
मत्स्य पुराण के अनुसार, एक समय अंधकासुर नाम के दैत्य ने कठिन तपस्या के बल पर भगवान शिव से यह वरदान प्राप्त किया कि उसके रक्त की बूंदों से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। इसके बाद वह शिव के इस वरदान के बल पर पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा। तब सभी देवी-देवता भगवान शिव की शरण में गये। भगवान शंकर ने जब देवताओं की रक्षा के लिए उस राक्षस से युद्ध करना प्रारंभ किया तो उनके पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर जा गिरी। पसीने की एक बूंद जमीन पर गिरी थी, जिससे वहां स्थापित शिव लिंग का निर्माण हुआ और मंगल देवता का जन्म हुआ। इसके बाद भूमिपुत्र मंगलदेव ने उस दैत्य के शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने भीतर सोख लिया इसलिए ही मंगल की धरती लाल है।
मंगलनाथ मंदिर उज्जैन का समय
मंगलनाथ मंदिर प्रतिदिन सुबह 4.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक खुलता है, आप इस समय के बीच कभी भी मंगलनाथ पूजा करने के लिए भगवान मंगला के दर्शन कर सकते हैं।
इस मंदिर के पास घूमने लायक जगह
कालियादेह महल
यह खूबसूरत महल वास्तव में शिप्रा नदी के एक द्वीप पर स्थित है। इसका निर्माण मांडू शासकों ने 1458 ई. में करवाया था। इस स्मारक के अंदर कई फ़ारसी शिलालेख हैं, स्थापत्य शैली पर भी फ़ारसी प्रभाव बहुत अधिक है। एक बार बादशाह अकबर और जहांगीर भी इस खूबसूरत महल को देखने आए थे। अब समय के साथ महल जर्जर हो गया है।
पीर मत्स्येन्द्रनाथ
यह भी शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह महल शैव संप्रदाय के नाथ संप्रदाय के सबसे महान नेता मत्स्येंद्रनाथ की याद में बनाया गया था। यह स्थान प्राचीन है और इसका निर्माण छठी या सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। यह उज्जैन शहर के सबसे प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक है।
मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग- उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का महारानी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा है, जो उज्जैन से लगभग 56 किमी की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग- उज्जैन जंक्शन रेलवे स्टेशन एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी प्रमुख स्टेशनों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यह रेलवे स्टेशन से लगभग 6.0 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप स्थानीय परिवहन की सहायता से मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग- एमपी के प्रमुख शहरों से उज्जैन के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं, इन मार्गों पर सुपर फास्ट और डीलक्स बसें भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा अगर आप अपने निजी वाहन से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि उज्जैन को भारत के मुख्य शहरों से जोड़ने वाली सड़कें आगर रोड, इंदौर रोड, देवास रोड, मक्सी रोड और बड़नगर रोड हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
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