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मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा(More Ujjain Ke Raja Karo Kirpa)

मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा(More Ujjain Ke Raja Karo Kirpa)

मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा ॥

दोहा – महाकाल सो नाम नहीं,

और उज्जैन सो कोई धाम,

करले मेरे महाकाल की भक्ति,

तेरे हो जाए सब काम ॥


मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


शीश गंग तन भस्मी धारी,

रूप अनुपम नंदी सवारी,

तेरी शरण में काल भी हारे,

तुम अनंत कई नाम तुम्हारे,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


जिसके मन में शिव ना समाया,

उसने कहाँ फिर शिव को पाया,

फूल नहीं इसलिए भी लाया,

खुद को अर्पण करने आया,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


मैं एक दीपक भोले बाबा,

तुम इस दिप की ज्योति,

तेरे नाम से भगत की बाबा,

दुनिया जगमग होती,

अर्जी सुनो उज्जैन के राजा,

किस्मत मेरी खोटी,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥

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मेरे घनश्याम से तुम मिला दो (Mere Ghanshyam Se Tum Mila Do)

मेरे घनश्याम से तुम मिला दो,
मैं हूँ उनका यार पुराना,

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

विवाह पंचमी की कथा क्या है

सनातन धर्म में विवाह पंचमी का दिन सबसे पवित्र माना गया है। क्योंकि यह वही दिन है, जब माता सीता और प्रभु श्री राम शादी के बंधन में बंधे थे। पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी का त्योहार हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है।

मनमोहन तुझे रिझाऊं तुझे नित नए लाड़ लड़ाऊं(Manmohan Tujhe Rijhaun Tujhe Neet Naye Laad Ladau)

मनमोहन तुझे रिझाऊं,
तुझे नित नए लाड़ लड़ाऊं,

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