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मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा(More Ujjain Ke Raja Karo Kirpa)

मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा(More Ujjain Ke Raja Karo Kirpa)

मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा ॥

दोहा – महाकाल सो नाम नहीं,

और उज्जैन सो कोई धाम,

करले मेरे महाकाल की भक्ति,

तेरे हो जाए सब काम ॥


मोरे उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


शीश गंग तन भस्मी धारी,

रूप अनुपम नंदी सवारी,

तेरी शरण में काल भी हारे,

तुम अनंत कई नाम तुम्हारे,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


जिसके मन में शिव ना समाया,

उसने कहाँ फिर शिव को पाया,

फूल नहीं इसलिए भी लाया,

खुद को अर्पण करने आया,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


मैं एक दीपक भोले बाबा,

तुम इस दिप की ज्योति,

तेरे नाम से भगत की बाबा,

दुनिया जगमग होती,

अर्जी सुनो उज्जैन के राजा,

किस्मत मेरी खोटी,

करो किरपा,

मोरें उज्जैन के राजा करो किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥


मोरे उज्जैन के राजा करों किरपा,

मोरे राजा महाराजा करो किरपा ॥

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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

कान छेदने के मुहूर्त

हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।

नवंबर-दिसंबर से लेकर साल 2025 तक यह हैं शादी के लिए सबसे शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में मुहुर्त का कितना महत्व है इस बात को समझने के लिए इतना ही काफी है कि हम मुहुर्त न होने पर शादी विवाह जैसी रस्मों को भी कई कई महिनों तक रोक लेते हैं।

नवंबर के शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकादशी तक हिंदू धर्म में शुभ कार्य बंद रहते हैं। देव उठते ही सभी तरह के मंगल कार्य आरंभ हो जातें हैं।

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