Logo

पाताल भैरवी मंदिर, छत्तीसगढ़ (Patal Bhairavi Temple, Chhattisgarh)

पाताल भैरवी मंदिर, छत्तीसगढ़ (Patal Bhairavi Temple, Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ का संस्कारधानी का पाताल भैरवी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है। माता का ये मंदिर 28 साल पहले बनकर तैयार हुआ। तब से ही इस मंदिर की ख्याति बढ़ती गई। सावन और नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। पाताल भैरवी मंदिर की दूरी राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर हैं। राजनांदगांव में जमीन के भीतर 15 फीट नीचे मां पाताल भैरवी का दरबार आकर्षण का केंद्र है। गर्भगृह में स्थित प्रतिमा की ऊंचाई करीब 15 फीट है। मूर्ति का वजन 11 टन से ज्यादा है। मां पाताल भैरवी दुर्गा माता का ही एक रूप है जो इस मंदिर में स्थित है। कहा जाता है कि दुर्गा मां ने दुष्टों का संहार करने के लिए रौद्र रुप धारण किया। कहते है कि रक्तबीज नामक राक्षस को मारने के लिए इस रुप को धारण किया था।


मंदिर का इतिहास


पाताल भैरवी मंदिर का निर्माण 1988 में हुआ था। मां पाताल भैरवी मंदिर तीन मंजिल में बना हुआ हैं। इस मंदिर की बनावट खास तरीके से की गई हैं। शिवलिंग के आकार में मंदिर का प्रांगण बनाया गया है। नीचे जिसे पाताल कहा जाता है। वहीं पर मां पाताल भैरवी, दूसरी मंदिर पर त्रिपुर सुंदरी का तार्थ, जिसे नवदुर्गा भी कहा जाता है। तीसरी मंजिल पर भगवान शिव की प्रतिमा और देशभर में स्थापित 12 ज्योर्तिलिंग का प्रतिरुप प्रतिष्ठापित है। मंदिर के सिर पर एक बड़ा शिवलिंग देखाई देता है। जिसके सामने बड़ी नंदी की प्रतिमा लगाई गई है। 


इस राक्षक को मिली थी चमत्कारिक शक्ति


रक्तबीज एक ऐसा राक्षस था जिसके रक्त का एक बूंद भी अगर जमीन पर गिरे तो वह एक बूंद रक्त एक नए राक्षक का रूप ले लेता था। इस विपदा के निवारण के लिए माता दुर्गा ने मां काली का रुप धारण किया व रक्तबीज का वध करके उसके पूरे वक्त को पी लिया। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित माता को काली का ही एक रुप माना जाता है। 


माता का रुप विशाल या भयानक


ये मंदिर कई मायने में खास है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित माता की मूर्ति काफी महत्व रखती है। इस मूर्ति को इस तरह से बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर इसे पहली बार देखे तो वह हैरान रह जाता है। मां काली का ये रौद्र रुप काफी भयानक नजर आता है। मंदिर के गर्भगृह मंदिर से लगभग 15 से 18 फीट की गहराई में स्थित है। गर्भगृह में स्थित मूर्ति लगभग 15 फीट ऊंची बताई जाती है और ये मूर्ति विशाल पत्थर की बनाई गई है।


ज्योति कलश का विशेष महत्व


साल में दोनों नवरात्रों में इस मंदिर में ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। कई लोग यहां पर माता के दरबार में ज्योत जलाकर मनोकामना मांगते हैं तो कई लोग अपनी मनोकामना के पूरे हो जाने के बाद ज्योत जलाते हैं।


शरद पूर्णिमा पर मिलती है विशेष खीर


इस मंदिर में नवरात्रों के अलावा शरद पूर्णिमा पर एक विशेष प्रकार की जड़ी बूटी को खार में डाला जाता है और एक औषधि युक्त खीर बनाया जाता है। ये खीर अस्थमा और श्वास से जुड़ी कई बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। इस खीर के प्रसाद को पाने के लिए यहां पर शरद पूर्णिमा की रात को हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - पाताल भैरवी से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा रायपुर में हैं जो यहां से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप आसानी से टैक्सी लेकर मंदिर पहुंच सकते है।


रेल मार्ग - पाताल भैरवी से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन राजनांदगांव रेलवे स्टेशन है। जिसकी दूरी लगभग 3 किलोमीटर है।


सड़क मार्ग - पाताल भैरवी मंदिर राजनांदगांव शहर राष्ट्रीय राज्य मार्ग क्रमांक 6 पर स्थित है। ये छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहां आसानी से पहुंच सकते है।


........................................................................................................
ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)

ओ मेरे गोपाल कन्हैया,
मोहन मुरली वाले,

ओ पवन पुत्र हनुमान राम के, परम भक्त कहलाए (O Pawan Putra Hanuman Ram Ke Param Bhakt Kahlaye)

ओ पवन पुत्र हनुमान राम के,
परम भक्त कहलाए,

ओ रामजी तेरे भजन ने, बड़ा सुख दीना (O Ram Ji Tere Bhajan Ne Bada Sukh Dina)

ओ रामजी तेरे भजन ने,
बड़ा सुख दीना,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang