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खाटू श्याम मंदिर के इतिहास और महत्व कई पुराणिक कथाओं और लोककथाओं में प्रकट होता है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, इस स्थान पर भगवान श्याम ने अपने भक्त प्रहलाद के साथ दर्शन किए थे, जो कि हिरण्यकशिपु के पुत्र थे। भगवान श्याम ने प्रहलाद को अपनी कृपा से शपथ दी थी कि वह सदा उनकी भक्ति में लगा रहेगा और उनकी प्रतिमा का पूजन करेगा। इस कारण, खाटू श्याम मंदिर को प्रतिवर्ष महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है और लाखों भक्त इस स्थल पर आते हैं ताकि वे अपने आध्यात्मिक संवाद को मजबूत कर सकें और भगवान की कृपा प्राप्त कर सकें।
इस प्रकार, खाटू श्याम मंदिर राजस्थान में हिन्दू धर्म के उच्चतम स्थलों में से एक है और यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं ताकि वे अपने आध्यात्मिक और धार्मिक अभिवृद्धि का साक्षात्कार कर सकें।
खाटू श्याम जी की जीवन कथा की शरुआत महाभारत से शुरू होती है। आपको बता दें कि पहले खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था। वे बलवान गदाधारी भीमसेन और हिडिम्बा के पोते और घटोत्कच और मौरवी के पुत्र थे। बचपन से ही उनमें वीर योद्धा बनने के सभी गुण थे। उन्होंने युद्ध करने की कला अपनी मां और श्रीकृष्ण से सीखी थी। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके तीन बाण प्राप्त किए। ये तीनों बाण उन्हें तीनों लोकों में विजयी बनाने के लिए काफी थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होने वाला है, तो उन्होंने भी युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई। इसके लिए जब वे अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उन्होंने हारे हुए पक्ष की ओर से युद्ध लड़ने का वचन दिया।
जब उन्हें बर्बरीक के इस वचन का पता चला तो वे ब्राह्मण का रूप धारण कर उनका मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे कि वे तीन बाण से क्या युद्ध लड़ेंगे। तब बर्बरीक ने कहा कि उनका एक बाण ही शत्रु सेना को मारने के लिए काफी है, ऐसे में अगर उन्होंने तीन तीरों का इस्तेमाल किया तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाएगा। ये जानकर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी कि पीपल के इन सभी पत्तों को वेधकर बताओ। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की। उनकी परीक्षा लेने के लिए श्रीकृष्ण ने एक पत्ती अपने पैरों के नीचे दबा ली। बर्बरीक ने एक बाण से सभी पत्तियों पर निशान कर दिए और श्रीकृष्ण के पैरों के पास चक्कर लगाने लगे और श्रीकृष्ण से कहा कि एक पत्ता आपके पैर के नीचे दबा हुआ है, अपने पैर हटा लीजिए वरना आपके पैरों पर चोट लग जाएगी।
इसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वे युद्ध में किसकी तरफ से शामिल होंगे। बर्बरीक ने जवाब दिया कि जो पक्ष हारेगा वे उनकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे। श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि युद्ध में हार तो कौरवों की होनी है, ऐसे में अगर बर्बरीक ने उनके साथ यद्ध लड़ा तो गलत परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने बर्बरीक को रोकने के लिए उनसे दान की मांग व्यक्त की। दान में उन्होंने बर्बरीक का सिर मांगा। बर्बरीक ने कहा कि मैं दान जरूर दूंगा। उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में अपना सिर काट कर रख दिया और उनसे आखिरी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे महाभारत का युद्ध अंत तक अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने उनकी इच्छा स्वीकार करते हुए बर्बरीक के सिर को युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया जहां से बर्बरीक ने अपनी आंखों से अंत तक महाभारत युद्ध देखा। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध में जीत का श्रेय किसको जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि श्रीकृष्ण के कारण वे युद्ध जीते हैं। श्रीकृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का अनमोल वचन दिया।
खाटू श्याम मंदिर में पूजा की विधि अत्यंत उत्साहजनक और आदर्शपूर्ण है। यहाँ पर पूजा की विधि विशेषतः भगवान श्री कृष्ण के रूप में श्याम बाबा की आराधना के लिए होती है।
खाटू श्याम बाबा को पूजा के दौरान कई प्रकार की सामग्री चढ़ाई जाती है जो उनकी आराधना और समर्पण को प्रकट करती है। यहाँ पूजा में चढ़ाने की कुछ सामान्य सामग्री का उल्लेख दिया गया है:
फूल: पुष्प भक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए अनेक प्रकार के फूल जैसे गुलाब, जास्मिन, चमेली, लोटस, तुलसी आदि का उपयोग किया जाता है।
धूप और दीप: भगवान की प्रतिमा के सामने धूप और दीप जलाए जाते हैं, जो उन्हें समर्पित किया जाता है और आराधना का अह्लाद बढ़ाते हैं।
चादर या वस्त्र: खाटू श्याम बाबा की प्रतिमा को एक विशेष चादर या वस्त्र से ढंका जाता है, जो उनकी आराधना का एक अभिन्न हिस्सा होता है।
नैवेद्य: भोग के रूप में अनेक प्रकार के आहार चढ़ाए जाते हैं, जैसे प्रसाद, मिठाई, फल, चावल, दाल आदि।
गंगाजल या स्नानार्थी सामग्री: अनेक लोग खाटू श्याम बाबा की पूजा के लिए गंगाजल और स्नान की वस्त्र सहित स्नान के लिए सामग्री लेते हैं।
पुष्पांजलि: भगवान की पूजा में पुष्पांजलि को चढ़ाकर भक्तिभाव से प्रार्थना की जाती है।
पूजा के दौरान भजन-कीर्तन और भगवान की भक्ति की जाती है। धार्मिक प्रवचन भी होते हैं, जो भक्तों को धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिकता में समृद्ध करते हैं।
मंदिर में अश्वमेध यज्ञ के रूप में कई प्रकार के यज्ञ भी सम्पन्न किए जाते हैं।
पूजा के समापन में प्रसाद वितरित किया जाता है और भक्तगण आत्मीय भाव से इसे लेते हैं।
इस प्रकार, खाटू श्याम मंदिर में पूजा की विधि भक्तों के जीवन में शांति, संतोष और धार्मिकता को स्थापित करने का एक माध्यम है।
खाटू श्याम मंदिर, सीकर-राजस्थान, भारत के अन्य स्थानों से पहुंचने के लिए कई परिवहन सुविधाएं हैं। यहां तक कि आप वाहन, बस, और रेल यात्रा के माध्यम से भी मंदिर पहुंच सकते हैं।
वाहन: यदि आप खाटू श्याम मंदिर पहुंचने के लिए वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सीकर से यहाँ आने के लिए कार, बाइक, या टैक्सी का उपयोग कर सकते हैं। सीकर शहर से खाटू श्याम मंदिर का दूरी लगभग 17 किलोमीटर है।
बस: सीकर से खाटू श्याम मंदिर के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। सीकर बस स्टैंड से अनेक बसें खाटू श्याम मंदिर के लिए उपलब्ध होती हैं।
रेल: रींगस जंक्शन खाटू श्याम का निकटतम रेलवे स्टेशन है और यहाँ से आप टैक्सी या ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल करके भी मंदिर पहुंच सकते हैं। रींगस रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या ऑटोरिक्शा की सेवा उपलब्ध होती है।
इन सभी सुविधाओं का उपयोग करके भक्त खाटू श्याम मंदिर की यात्रा को सुरक्षित और सुखद बना सकते हैं।
खाटू धाम जागृति सेवा: यह होटल मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ आरामदायक कमरे, शुद्ध भोजन और अच्छी सेवाएं उपलब्ध हैं।
श्याम निवास गेस्ट हाउस: यह गेस्ट हाउस मंदिर के पास है और आरामदायक कमरे और साफ-सुथरी सुविधाएं प्रदान करता है।
खाटू पालेस: यह होटल खाटू श्याम मंदिर से कुछ ही दूरी पर है और उच्च गुणवत्ता के आरामदायक कमरे प्रदान करता है।
रघुनाथ होटल: यह होटल मंदिर के पास स्थित है और भक्तों को आरामदायक रहने की सुविधा प्रदान करता है।
माधव धाम गेस्ट हाउस: यह गेस्ट हाउस मंदिर के पास स्थित है और आरामदायक कमरे और साफ-सुथरी सुविधाएं प्रदान करता है।
ये सभी होटल और गेस्ट हाउस मंदिर के निकट स्थित हैं और भक्तों को आरामदायक और सुरक्षित रहने की सुविधा प्रदान करते हैं।
खाटू पालेस गेस्ट हाउस
खाटू धाम गेस्ट हाउस
श्याम होम्स्टे
सुमन गेस्ट हाउस
सुरभि होटल
अरविन्द होटल
महादेव होटल
रामानुज गेस्ट हाउस
श्री बालाजी गेस्ट हाउस
हरिद्वार पेलेस
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