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बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर, जयपुर

बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर, जयपुर

पहाड़ों में मिली थी बंगाली बाबा गणेश मंदिर की प्रतिमा, सालों पुराना है मंदिर का इतिहास


बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर जयपुर में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ये मंदिर जयपुर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना गया है। श्री गणेश भगवान की मूर्ति पहाड़ों में ही पाई गई थी। बंगाली बाबा आश्रम गणेश मंदिर दिल्ली बाईपास रोड पर पुरानी चुंगी के पास स्थित है। सन, 1950 के लगभग श्री आत्माराम बंगाली बाबा महाराज ने मंदिर में पूजा -अर्चना प्रारंभ की एवं मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। 

मंदिर का निर्माण


जयपुर में स्थित बंगाली बाबा गणेश मंदिर 350 साल प्राचीन मंदिर है। यहां पर कई वर्षों तक बंगाली बाबा आत्माराम ब्रह्मचारी ने तपस्या की था। इसलिए इस मंदिर का नाम बंगाली बाबा आश्रम के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर में पहाड़ से निकली हुई गणेश प्रतिमा विराजमान है। मंदिर में विराजमान गणेश की मूर्ति सिद्ध मूर्ति है। गणेश मंदिर में भगवान भोलेनाथ की विशाल प्रतिमा विराजमान है। 

मंदिर का संचालन


वर्तमान मंदिर का संचालन बाबा आत्माराम ब्रह्मचारी गणेश मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। गणेश जी का श्री हनुमान लाल का सिंदूरी रंग बहुत प्रिय है, अतः श्री गणेश का यह विग्रह सिंदूरी लाल से प्रेरित है। मंदिर परिसर में फब्बारे में साथ शिवजी की विशाल प्रतिमा लगी हुई है। फागुन के महीने में जलेश्वर महादेव का बहुत ही सुंदर व आकर्षक श्रृंगार किया जाता है।

मंदिर के त्योहार


यहां पर गणेश चतुर्थी मुख्य त्योहार के रूप में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, और भगवान श्री गणेश की दिव्य- भव्य झांकियां सजाई जाती है। पौषबड़ा एवं अन्नकूट त्योहार यहां के बड़े आयोजन हैं। जिसमें हर साल लाखों की संख्या में भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 

कैसे पहुंचे


  • हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर एयरपोर्ट से है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर स्टेशन है। स्टेशन से आप टैक्सी या ऑटो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग - ये मंदिर दिल्ली बायपास पर स्थित है। आप किसी भी जगह से यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं। 

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जब जब पापी पाप बढ़ाए,धर्म पे ग्रहण लगाए।
त्रिसूलधारी पाप मिटाने, इस धरती पर आए॥

Kare Bhagat Ho Aarti (करें भगत हो आरती माई दोई बिरियां)

सदा भवानी दाहनी।
सदा भवानी दाहनी, सम्मुख रहें गणेश।
पांच देव रक्षा करें,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश।

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