Logo

बिरला मंदिर, जयपुर (Birla Mandir, Jaipur)

बिरला मंदिर, जयपुर (Birla Mandir, Jaipur)

एक रुपए देकर खरीदी गई थी मंदिर की जमीन, बिरला परिवार ने करवाया निर्माण


बिरला मंदिर, जयपुर में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है, जिनकी छवियां अंदर दिखाई देती हैं। यह मंदिर जयपुर के तिलक नगर मोहल्ले में मोती डूंगरी पहाड़ी के पास स्थित है। प्रारंभ में यह मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से प्रचलित था। सफेद संगमरमर ने बना बिरला मंदिर परंपरागत प्राचीन हिंदू मंदिरों से विपरीत, एक आधुनिक दृष्टिकोण के साथ बनाया गया था। 

मंदिर का इतिहास


बिरला मंदिर, का निर्माण बी,एम बिरला फाउंडेशन द्वारा किया गया थआ। 1988 में बिरला फाउंडेशन और इसका निर्माण पूरी तरह से सफेद संगमरमर के पत्थर से किया गया है। बिरला मंदिर का निर्माण 1977 में रामानुज दास और घनश्याम बिरला के निर्देशन में शुरू हुआ। मंदिर 22 फरवरी 1988 को दर्शन के लिए खोला गया था। कहा जाता है कि जिस जगह पर यह मंदिर बना है, उस जमीन को बिरला परिवार ने एक महाराज से केवल एक रुपये में खरीदा था।

मंदिर की वास्तुकला


सफेद संगमरमर से बना ये मंदिर आधुनिक शैली को दर्शाता है, जिसमें एक मंदिर में पाए जाने वाले पारंपरिक विशेषताओं के निशान हैं। इस मंदिर की दीवारें और खंभे शास्त्रों, पौराणिक घटनाओं और प्रतीकों, देवी देवताओं की मूर्तियों और हिंदू प्रतीकों के उद्धरणों को दर्शाती जटिल नक्काशी से सजे हैं। मंदिर में प्रमुख भगवान लक्ष्मी नारायण की मूर्ति को एक पत्थर से बनाया गया है। मंदिर के चार अलग-अलग हिस्से हैं।
इसका गर्भगृह, मीनार, मुख्य हॉल और प्रवेश द्वार हैं। इसमें तीन मीनारें हैं, जो भारत की तीन मुख्य आस्था का संदर्भ देती हैं, साथ ही रंगीन खिड़कियां भी हैं। संगमरमर की मूर्तियां हिंदू पौराणिक कथाओं का भी संदर्भ देती है। इसके अंदर हिंदू देवताओं-विशेष रुप से लक्ष्मी नारायण और गणेश- और बाहरी दीवारों पर क्राइसट, वर्जिन मैरी, सेंट पीटर, बुद्ध, कन्फ्यूशियस और सुकारत जैसी आकृतियां है। इसके संस्थापकों- रुक्मणी देवी बिरला और ब्रज मोहन बिरला की मूर्तियां बाहर मंडपों में हैं, जो नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़कर मंदिर की ओर मुख किए हुए हैं। 

मंदिर के त्योहार


दीवाली, जन्माष्टमी बिरला मंदिर के प्रमुख त्योहार है। यह मंदिर देश की बेहतरीन संरचनाओं में से गिना जाता है।

कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर एयरपोर्ट है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर रेलवे स्टेशन हैं । यहां से मंदिर की दूरी 6 किमी है। आप स्टेशन से ऑटो या टैक्सी लेकर जा सकते हैं। 
सड़क मार्ग - मंदिर शहर के केंद्र से 12 किमी दूर स्थित है। आप किसी भी मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं।
मंदिर का समय - बिरला मंदिर पूरे सप्ताह खुलता है। मंदिर में दर्शन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक होते हैं, फिर 3 बजे से रात 9 बजे तक होते हैं। शाम को 6 बजे संध्या आरती की जाती है।

........................................................................................................
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा नामक एकादशी (Jyesth Mas Ke Krishna Paksh Ki Apara Namak Ekaadshi)

इतनी कथा सुनने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुनः भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा-हे मधुसूदन । अब आप कृपा कर मुझ ज्येष्ठ मास कृष्ण एकादशी का नाम और मोहात्म्य सुनाइये क्योंकि मेरी उसको सुनने की महान् अच्छा है।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (Jyeshth Maas Ki Shukla Paksh Ki Nirjala Ekaadashi)

एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी (aashaadh krishn paksh ki yogini ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा कि हे श्री मधुसूदन जी ! ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी का माहात्म्य तो मैं सुन चुका अब आगे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और क्या माहात्म्य है कृपाकर उसको कहने की दया करिये।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प‌द्मा एकादशी (Aashaadh Shukla Paksh Ki Padma Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन् ! आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है और उस दिन किस देवता की पूजा किस विधि से करनी चाहिए? कृपया यह बतलाइये।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang