झुंझुनू के गुढ़ा गोरजी कस्बे के धमोरा गांव में एक गोगामेड़ी धाम है जो की सैकड़ो साल पुराना बताया जाता है। सैकड़ों साल पुराने इस गोगाजी मंदिर में 2011 से लगातार धमोरा गांव ही नहीं बल्कि आसपास की पांच सात गांव के लोग एकत्रित होकर मेले का आयोजन करते है। यहां हर साल भाद्रप्रद माह के शुक्लपक्ष को मेला लगता है जो लाखों भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह मेला एक माह तक पूरे जोर-शोर से चलता है। इस मेले में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिनमें कबड्डी, कुश्ती वॉलीबॉल की प्रतियोगिताएं होती हैं।
बता दें कि राजस्थान में बाबा रामदेव और गोगाजी महाराज प्रमुख लोक देवता हैं, जिन्हें लाखों लोग देवता के रूप में मानते और पूजते हैं। बाबा के दर्शन करने के लिए राजस्थान के लगभग विभिन्न जिलों के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु गोगामेड़ी पहुंचते हैं।
भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने मंदिर पर मत्था टेककर मन्नत मांगते हैं। बता दें कि गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है। गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर साँप की मूर्ति बनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेडी पर लाया जाए तो उस व्यक्ति को सर्प विष से मुक्ति मिल जाती है।
गोगाजी को जाहरवीर गोगा जी के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा हिंदू और मुस्लिम दोनों करते हैं। गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा प्रतीक है, जहां एक हिंदू और एक मुस्लिम पुजारी खड़े रहते हैं। गोगामेडी में गोगाजी का मंदिर एक ऊंचे टीले पर मस्जिद की तरह बना हुआ है, इसकी मीनारें मुस्लिम वास्तुकला का संकेत देती हैं। मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह अंकित है।
मंदिर के मध्य में गोगाजी की समाधि है। जानकारी के अनुसार, सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक गोगाजी का मंदिर सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था। फिरोज तुगलक ने गोगामेडी में एक मस्जिद जैसा मंदिर बनवाया और यह एक कंक्रीट का मकबरा बन गया। इसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार 1887 और 1943 में बीकानेर के महाराज के शासनकाल में कराया गया।गोगाजी का यह मंदिर आज हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी की आस्था का केंद्र है। भादव माह में यहां सभी धर्मों के श्रद्धालु गोगा मजार के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
गोगामेड़ी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। गोगामेड़ी को जाने के लिये रेलमार्ग और सड़क मार्ग दोनों से जा सकते है। मेले के समय पर कई स्पेशल एक्सप्रेस और पैसेजर गाड़ी चलाई जाती है। इसके साथ रोडवेज दिल्ली, रेवाड़ी सहित अन्य शहरों से गोगामेड़ी को जाती है।
समय : सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे
है अनुपम जिसकी शान, उसको कहते है हनुमान,
हिंदू धर्म में गणेश जी को सबसे पहले पूजने की परंपरा है। ऐसे में पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
है हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू ॥
हनुमान जी की पूजा में विशेष मंत्रों और नियमों का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजन की शुरुआत गणपति वंदना से होती है, जिसके बाद हनुमान जी को स्नान, वस्त्र, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है।