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योगमाया मंदिर, दिल्ली (Yogmaya Temple, Delhi)

योगमाया मंदिर, दिल्ली (Yogmaya Temple, Delhi)

कुतुब मीनार से 100 मीटर दूर स्थित है भगवान कृष्ण की बहन का 5000 साल पुराना मंदिर


योगमाया मंदिर, कहते हैं कि इस मंदिर को खुद भगवान कृष्ण ने बनाया है। कुतुब मीनार से 100 मीटर की दूरी पर दक्षिण दिल्ली के महरौली में पांच हजार वर्ष पुराना योगमाया प्राचीन हिंदू मंदिर स्थित है। यहां दर्शन मात्र से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं। दिल्ली के लोगों के बीच यह मंदिर थोड़ा कम मशहूर है, लेकिन महरौली में रहने वाले लोग रोजाना इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। 


मंदिर की विशेषता 


योगमाया भगवान कृष्ण की बड़ी बहन थीं और यह मंदिर देवी योगमाया को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि श्री योगमाया मंदिर उन पांच मंदिरों में से एक है, जो कि महाभारत काल से हैं। योगमाया वह देवी हैं, जिन्हें कृष्ण के पिता ने यमुना नदी को पार करके लाया गया था और भगवान कृष्ण की जगह पर देवकी मां के बगल में रख दिया था। पापी कंस ने इन्हें भी देवकी के अन्‍य संतानों की तरह मारने का प्रयास किया था। लेकिन देवी योगमाया उसके हाथों से छिटककर आकाश में चली गई थीं और अपने वास्तविक रूप में सामने आकर कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी की थी।


मां लक्ष्मी का अवतार हैं देवी योगमाया


बता दें कि देवी योगमाया को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। इसी वजह से मंदिर में किसी भी प्रकार की बलि पर प्रतिबंध है। ऐसा करने वालों पर देवी अत्यंत क्रोधित हो जाती हैं। देवी योग माया के साथ ही मंदिर में भगवान राम, शिव, गणेश और कई देवी-देवता विराजमान है। लोगों का मानना है कि कि इस मंदिर का निर्माण किसी इंसान ने नहीं बल्कि खुद भगवान कृष्ण ने कराया है। बताया जाता है कि महाभारत युद्ध के वक्त भगवान कृष्ण और अर्जुन इस मंदिर में आराधना करने गए थे। 


मंदिर में नहीं है कोई भी मूर्ति 


आश्चर्य की बात यह है कि योगमाया मंदिर में मूर्ति नहीं है, बल्कि काले पत्थर का गोलाकार एक पिंड संगमरमर के दो फुट गहरे कुंड में स्थापित किया हुआ है। पिंडी को लाल वस्त्र से ढका हुआ है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है। देवी योगमाया के दिन में दो बार श्रृंगार करने की परंपरा है। साथ ही मंदिर की सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। इस मंदिर के आसपास रहने वाले लोग योगमाया मंदिर की देखभाल करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह सभी व्यक्ति जिनकी संख्या वर्तमान में 200 से भी अधिक है, यह एक आम पूर्वज थे जिन्होंने सैक्रोवर्स पूर्व इस मंदिर का देखभाल करना शुरू किया था। 


सादगी भरा है मंदिर


महाभारत काल के बाद यह मंदिर खंडहर में तब्दील होना शुरू हो गया। मंदिर के पत्थरों से कुतुबमीनार के आसपास के इमारतों का निर्माण होने लगा।  इसके बाद देखते ही देखते मंदिर की पहचान खत्म हो गई। यह मंदिर भारत के अन्य मंदिरों की तरह बहुत ज्यादा सुंदर तो नहीं है। जब आप इसे देखेंगे तो यह आपको सादगी भरा दिखेगा।  इसके बावजूद भी मंदिर की महत्ता बिल्कुल भी कम नहीं हुई है। योगमाया मंदिर में देवी योगमाया को फूल, पंखे और छतरियां अर्पित करने की प्रधानता है। बता दें कि दिल्ली के अलावा मिर्जापुर, बाड़मेर, जोधपुर , त्रिपुरा, केरल और वृंदावन में भी योगमाया के मंदिर हैं। 


कैसे पहुंचे मंदिर


योगमाया मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है। योगमाया मंदिर दक्षिण दिल्ली के महरौली गांव में, कुतुब मीनार के पूर्व में स्थित है। निकटतम मेट्रो स्टेशन साकेत में है, लेकिन यह अभी भी लगभग आधे घंटे की पैदल दूरी पर है। आप टैक्सी या ऑटो से इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जा सकते है। 


समय - मंदिर प्रातः 5 बजे खुलता है।  शाम की आरती के बाद इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं।


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प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

गुरु प्रदोष व्रत से होंगे ये लाभ

गुरु प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा और विशेष रूप से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रदोष व्रत पर इन चीजों का करें दान

विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

प्रदोष व्रत पर क्या करें या न करें

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।

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