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अष्टलक्ष्मी की पूजा से लाभ

अष्टलक्ष्मी की पूजा से लाभ

मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की पूजा से हो सकते हैं अनगिनत लाभ. पौराणिक मान्यताओं के साथ जानिए सही पूजा विधि 


भारतीय सनातन संस्कृति में आरंभ से ही स्त्री को पूज्य व जननी माना गया है। स्त्री धन-धान्य, समृद्धि, विद्या, बुद्धि और शक्ति के स्वरूप में हमारे शास्त्रों में भी विद्यमान हैं। जिन्हें हम पूजते हैं तथा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माता लक्ष्मी की जब बात आती है तो लोग इनका संबंध हमेशा धन से ही जोड़ते हैं। पर ऐसा है नहीं है बल्कि जीवन में सुख समृद्धि के लिए भी उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इनकी पूजा से व्यक्ति को अर्थ, धर्म काम और मोक्ष इन चारों के पुरुषार्थ भी प्राप्त हो सकते हैं।


अष्ट स्वरूप की पूजा लाभदायक


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी देवी के आठ स्वरूपों का समूह है जिनकी पूजा करने से धन के आठ स्वरूप आध्यात्मिकता, भौतिक संपदा, कृषि, राजसी वैभव, ज्ञान, साहस, संतान और विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप भी माता लक्ष्मी के आठों स्वरूप की पूजा सविधि कर सकते हैं।


आदि लक्ष्मी:- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आदि लक्ष्मी को मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप माना जाता है। आदि लक्ष्मी ही महालक्ष्मी हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि आदि लक्ष्मी ने ही तीनों देवों की उत्पत्ति के साथ साथ संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति भी की थी और ये भगवान विष्णु के साथ इस जगत का संचालन करती हैं। कहा जाता है मां लक्ष्मी के आदि लक्ष्मी स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है।


धन लक्ष्मी:- माता धन लक्ष्मी को मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप माना जाता है। माता धन लक्ष्मी धन और वैभव प्रदान करती हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु ने कुबेर देवता से कर्ज लिया था और वे इस कर्ज को समय पर चुका नहीं पाए थे। तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को कुबेर के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए धन लक्ष्मी का अवतार लिया और भगवान विष्णु को कर्ज से मुक्त किया। कहा जाता है मां लक्ष्मी के धन लक्ष्मी स्वरूप की पूजा करने से कमजोर आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनती है। और घर धन- धान्य से भरा रहता है साथ ही सभी प्रकार के कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।


धान्य लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी माना जाता है। धान्य लक्ष्मी को माता अन्नपूर्णा का ही एक स्वरूप माना जाता है। धान्य लक्ष्मी के स्वरूप में मां लक्ष्मी अन्न में विराजमान रहती हैं। इसलिए, कहा जाता है जो व्यक्ति अन्न का अनादर नहीं करता, जूठा खाना नहीं छोड़ता और जरूरतमंद को भोजन कराता है उसपर मां धान्य लक्ष्मी की खूब कृपा बरसती है और उसके घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे हुए ही रहते हैं।


गज लक्ष्मी:- माता लक्ष्मी का चौथा स्वरूप गज लक्ष्मी है। मां गज लक्ष्मी हाथी के ऊपर, कमल पुष्प के आसन पर विराजमान हैं और उनको कृषि और उर्वरता की देवी कहा जाता है। मां गज लक्ष्मी राजा की तरह वैभव और समृद्धि भी प्रदान करती हैं।


संतान लक्ष्मी:- माता लक्ष्मी का पांचवा स्वरूप है संतान लक्ष्मी है। इनके चार हाथ हैं और इनकी गोद में कुमार स्कंद बालक रूप में विराजमान हैं। इसलिए, इनको स्कंद माता भी कहा जाता है। मान्यता है मां संतान लक्ष्मी अपने भक्तों की देखभाल अपनी संतान की तरह करती हैं और एक मां की तरह ही अपने भक्तो पर आने वाले सभी संकटों से उनकी रक्षा करती हैं। संतान सुख की कामना रखने वाले लोगों को मां संतान लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए।


वीरा लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का छठा स्वरूप है वीरा लक्ष्मी। मां लक्ष्मी का यह स्वरूप अपने भक्तों को बल, शौर्य, वीरता और पराक्रम प्रदान करने वाला है। इसलिए मां वीरा लक्ष्मी वीर, साहसी और पराक्रमी लोगों की आराध्य देवी मानी जाती हैं। आठ हाथों में भिन्न भिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्र धारण करने वाली ये देवी अपने भक्तों को दुश्मनों से विजय प्राप्त कराती हैं। अगर कोर्ट कचहरी का कोई विवाद हो तब मां लक्ष्मी के वीरा लक्ष्मी स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।


जय लक्ष्मी विजय लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का सातवां स्वरूप है जय लक्ष्मी। जय लक्ष्मी को विजय लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। मां लक्ष्मी का यह स्वरूप जीत या विजय का प्रतीक माना जाता है। मां जय लक्ष्मी अपने भक्तों को सभी प्रकार से विजय प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से जीवन में यश, कीर्ति और सम्मान की प्राप्ति होती है।


देवी विद्या लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का आठवां स्वरूप है देवी विद्या लक्ष्मी। मां विद्या लक्ष्मी, विद्या की देवी मानी जाती हैं। ये ज्ञान, कला और कौशल प्रदान करने वाली देवी हैं। मां लक्ष्मी का यह स्वरूप भक्तों को शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान और सफलता प्रदान करता है।


प्राप्त होगा मनोवांछित फल


धार्मिक शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान से माता लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्राकट्य माना गया है। जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया। माता लक्ष्मी की पूजा करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।


ये रही अष्ट लक्ष्मी की पूजन विधि 


  • स्नान कर स्वछता से रेशमी वस्त्र पहन लें।
  • अब विधि अनुसार सर्वप्रथम पूजन स्थल पर गुलाबी रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर श्रीयंत्र और अष्टलक्ष्मी का चित्र स्थापित करें। 
  • थाली में गाय के घी आठ दीपक लगाकर धूपबत्ती जलाएं। 
  • चित्र व श्रीयंत्र पर कुंकुम, हल्दी, अबीर, गुलाल चढ़ाकर, सुगंधित पुष्प अर्पित करें। तत्पश्चात इत्र लगाएं और नैवेद्य लगाकर आरती करें।

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