हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन विशेष रूप से व्रत, स्नान-दान और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इस दिन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
चैत्र पूर्णिमा की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल, शनिवार को सुबह 3:21 बजे शुरू होकर 13 अप्रैल को सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
चैत्र पूर्णिमा विशेष रूप से गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-हवन करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। इस दिन किए गए सभी धार्मिक कार्य सिद्ध होते हैं और उन कार्यों से फलदायक आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा करने से भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
चैत्र पूर्णिमा पर करें धार्मिक ग्रंथों का पाठ
चैत्र पूर्णिमा का व्रत और पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, हनुमान जी की पूजा, व्रत और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और समस्त पापों का नाश होता है। आइए अब जानते हैं इसकी पूजा विधि :
वट पूर्णिमा व्रत 2025 में 10 जून की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाएगा, जो विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व होता है। यह व्रत श्रद्धा और पति की लंबी आयु की कामना से जुड़ा है।
वट सावित्री व्रत 10 जून, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
वट सावित्री व्रत 2025 में 10 जून को सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत रखकर वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा करेंगी। यह व्रत पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है।
आज 11 जून 2025 को ज्येष्ठ माह का 30वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि पूर्णिमा है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव वृषभ राशि में रहेंगे।