चैत्र पूर्णिमा 2025 कब है

Chaitra Purnima 2025: अप्रैल में कब है चैत्र पूर्णिमा, जानिए सही तिथि और इस दिन पूजा करने की सही विधि 

हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन विशेष रूप से व्रत, स्नान-दान और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इस दिन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।     

चैत्र पूर्णिमा की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल, शनिवार को सुबह 3:21 बजे शुरू होकर 13 अप्रैल को सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व 

चैत्र पूर्णिमा विशेष रूप से गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-हवन करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। इस दिन किए गए सभी धार्मिक कार्य सिद्ध होते हैं और उन कार्यों से फलदायक आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा करने से भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

चैत्र पूर्णिमा पर करें धार्मिक ग्रंथों का पाठ

चैत्र पूर्णिमा का व्रत और पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, हनुमान जी की पूजा, व्रत और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और समस्त पापों का नाश होता है। आइए अब जानते हैं इसकी पूजा विधि :

  • सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें या घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • फिर भगवान विष्णु, शिव और हनुमान जी की विधिवत पूजा करें।
  • इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
  • इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
  • चैत्र पूर्णिमा के दिन धार्मिक ग्रंथों का पाठ जरूर करना चाहिए और हो सके तो सत्संग में भाग लेना चाहिए।

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पौष अमावस्या कब है

तमिलनाडु में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाई जाती है। यह दिन हनुमान जी को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं।

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