2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद फलदायी रहने वाला है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी पर चार अत्यंत शुभ योग, त्रिपुष्कर योग, शुभ योग, साध्य योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। इन योगों के प्रभाव से कुछ राशियों को विशेष लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। पंचांग के अनुसार, ये योग जीवन में उन्नति, सुख-समृद्धि और अध्यात्म की ओर बढ़ने के द्वार खोल सकते हैं।
कन्या राशि के जातकों को देवशयनी एकादशी के शुभ योगों का विशेष लाभ मिलेगा। भगवान विष्णु की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। परिवार में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा और भौतिक सुखों में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। इस दिन नौकरी या व्यापार में कोई बड़ा निर्णय लाभकारी हो सकता है।
वृषभ राशि वालों के लिए यह एक शुभ समय रहेगा। करियर में नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं और किसी पुराने अटके काम के पूरा होने की संभावना है। साथ ही, वरिष्ठों से प्रशंसा मिलने के योग बन रहे हैं। इस दिन लिया गया कोई भी कार्य-निर्णय भविष्य में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
कर्क राशि के जातकों के लिए देवशयनी एकादशी शुभ संकेत लेकर आ रही है। धार्मिक कार्यों में मन लगेगा और किसी शुभ कार्य की शुरुआत हो सकती है। मनचाहा परिणाम मिलने की संभावना है। छात्रों और प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे युवाओं को विशेष सफलता मिल सकती है।
मीन राशि के लिए यह दिन शिक्षा, अध्यात्म और मानसिक संतुलन के क्षेत्र में लाभ देने वाला रहेगा। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी और गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। जो लोग आध्यात्मिक मार्ग पर हैं, उन्हें साधना में सिद्धि और आंतरिक शांति की अनुभूति हो सकती है।
महाकुंभ 2025 में, गंगापुरी महाराज अपनी हाइट को लेकर सुर्ख़ियों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी हाइट महज 3 फिट है। इतनी लंबाई महज पांच-छह साल के बच्चे की होती है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ में इस वक्त कल्पवासी, कल्पवास कर रहे हैं। कुंभ में हजारों-लाखों लोग कल्पवास व्रत रखते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है।
प्रयागराज में 12 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े हैं। यह महान धार्मिक आयोजन, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक रहा है, विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम माना जाता है।