माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन मौन साधना करना विशेष लाभदायक माना जाता है। इस साल यह अमावस्या 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी इसी दिन आयोजित हो रहा है। प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु संगम स्नान का पुण्य प्राप्त करने के लिए जमा होंगे।
मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही मौनी अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए लोग श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी करते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन पितृ धरती पर आते हैं। मौनी अमावस्या के दिन किस समय स्नान-दान करना चाहिए, जिससे हमें पुण्य की प्राप्ति हो। ऐसे में आइये जानते हैं मौनी अमावस्या पर कब और कैसे स्नान करना है, इसकी विधि क्या है साथ ही शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे।
पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 37 मिनट पर होगी जो अगले दिन 29 जनवरी तक जारी रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा।
इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र और उत्तराषाढा नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो अमृत स्नान के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इन दोनों नक्षत्रों में गंगा नदी में स्नान करने से साधकों को अक्षय फलों की प्राप्ति हो सकती है।
इन शुभ मुहूर्तों में अमृत स्नान करने से आपको आध्यात्मिक और पार्थिव लाभों की प्राप्ति हो सकती है।
मौनी अमावस्या स्नान के लिए आप इस विधि का पालन कर सकते हैं-
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने के लिए कुछ विशेष मुहूर्त हैं जो आपको अधिक पुण्य प्राप्त करने में मदद करेंगे।
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने के लिए आपको एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना होगा। इस दिन सुबह 11:34 बजे से राहुकाल लग जाएगा जो दोपहर 01:55 बजे तक रहेगा। हिंदू धर्म में राहुकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने को वर्जित किया गया है इसलिए इस समय स्नान और दान करने से बचें। राहुकाल के दौरान किए गए कार्यों का फल अक्सर नकारात्मक होता है।
महाकुंभ 2025 का 13 जनवरी से शुभारंभ हो रहा है। प्रयागराज में इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नागा साधुओं के अखाड़े धीरे-धीरे संगम क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं, जबकि श्रद्धालुओं का आगमन भी शुरू हो चुका है।
फरवरी, साल का दूसरा महीना, अपनी छोटी अवधि के लिए जाना जाता है। इसमें ज्यादातर 28 दिन होते हैं, लेकिन हर चार साल में आने वाले लीप वर्ष में ये 29 हो जाते हैं।
इस साल 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने वाला है। यह सनातन धर्म में महाकुंभ को धर्म और आस्था का सबसे बड़ा मेला कहा जाता है।
हिंदू धर्म में कुंभ मेले का अत्यधिक महत्व है। इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस वर्ष महाकुंभ मेला 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है और 26 फरवरी को समाप्त होगा।