विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है, जो विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए जाना जाता है। इस दिन कुछ उपाय या फिर गरीबों और जरूरतमंदों को कुछ विशेष चीजें दान करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं खत्म हो जाती हैं। इस आर्टिकल में हम मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले पहले प्रदोष व्रत के दिन दान करने वाली चीजों और विशेष उपायों बारे में जानेंगे।
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी जो 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत 28 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन कौन-कौन से दान करने चाहिए-
काले तिल का दान: शनि दोष से मुक्ति
काले तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
दूध का दान: वैवाहिक जीवन में मिठास
दूध का दान करने से वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है और सुख-शांति का संचार होता है।
फल का दान: सुख-समृद्धि में वृद्धि
फल का दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
कंबल और वस्त्र दान: गरीबों की मदद
गरीबों को कंबल या वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
अन्न का दान: जीवन में सुख-समृद्धि
अन्न का दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
गाय और चांदी का दान: लक्ष्मी माता की कृपा
गाय का दान करने से लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
तांबे के लोटे में जल भरकर दान: शिव जी की कृपा
तांबे के लोटे में जल भरकर दान करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और व्यक्तियों की इच्छाएं जल्दी पूरी होती हैं।
गणेश जयंती भगवान गणेश जी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसे श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।