अनंग त्रयोदशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। 2024 में यह व्रत 13 दिसंबर को पड़ेगा। इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा, जो मार्गशीर्ष महीने का आखिरी प्रदोष व्रत है। पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि रात 10:26 बजे शुरू होकर अगले दिन शाम 7:40 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल शाम 5:26 बजे से 7:40 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, पार्वती, कामदेव और रति की पूजा से प्रेम संबंध मजबूत होते हैं।
हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, कामदेव और रति की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत प्रेमी जोड़ों और विवाहित दंपतियों के लिए विशेष महत्व रखता है। क्योंकि, इससे प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रयोदशी तिथि का संबंध भगवान शिव और कामदेव से है। कथा के अनुसार, तारकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। उसे ब्रह्मा जी से यह वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों हो सकती है। उस समय भगवान शिव गहन ध्यान में लीन थे। देवताओं ने शिव जी का ध्यान भंग करने के लिए कामदेव को भेजा। कामदेव ने अपनी शक्तियों से भगवान शिव का ध्यान भंग कर दिया, जिससे शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। कामदेव की पत्नी रति ने शिव जी से प्रार्थना की। रति की भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर शिव जी ने कामदेव को आशीर्वाद दिया कि वे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे। तब तक वे बिना शरीर के रहेंगे, इसलिए उनका नाम 'अनंग' पड़ा। शिव जी ने यह भी कहा कि जो भी अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की पूजा करेगा, उनके प्रेम संबंध सुदृढ़ होंगे।
अनंग त्रयोदशी का व्रत प्रेमी युगलों और विवाहित दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत और पूजन की विधि इस प्रकार है।
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने को अगहन माह भी कहा जाता है। 2024 में इस महीने की शुरुआत 20 नवंबर से हुई। यह महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने का यह आखिरी प्रदोष व्रत भी 13 दिसंबर को अनंग त्रयोदशी के साथ है।
प्रेमी युगलों और विवाहित जोड़ों को इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती, कामदेव और रति की पूजा करनी चाहिए। इससे उनके संबंधों में स्थायित्व और प्रगाढ़ता आएगी। अनंग त्रयोदशी का व्रत रखने और पूजन करने से और भी कई लाभ प्राप्त होते हैं, जो इस प्रकार हैं।
भारत में भगवान चित्रगुप्त जी के कई प्रमुख मंदिर हैं। जिनमें पटना, गोरखपुर, कांचीपुरम और उज्जैन के मंदिर विशेष महत्व रखते हैं। ये मंदिर वास्तुकला, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं।
छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। यह 04 दिनों तक चलने वाला पर्व है। जो शुद्धता, संकल्प और यम- नियमों पर आधारित है।
छठ पूजा का पर्व आस्था, संयम और शुद्धता का प्रतीक है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।