रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि

रुक्मिणी अष्टमी पर इस विधि से करें देवी रुक्मिणी की पूजा, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण का भी मिलेगा आशीर्वाद 


सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं। देवी रुक्मिणी श्री कृष्ण की मुख्य पत्नी थी, जिन्हें धन की देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। रुक्मिणी अष्टमी का दिन देवी रुक्मिणी को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन द्वापर युग में देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। वे विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री थीं। 


रुक्मिणी अष्टमी पर श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की साथ में पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को धन-वैभव, ऐश्वर्य, सुख-संपत्ति तथा संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। कहा जाता है कि रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत रख कर देवी रुक्मिणी की पूजा अर्चना करने से मां लक्ष्मी मेहरबान होती हैं। ऐसे में आइये जानते है रुक्मिणी अष्टमी पर किस विधि से देवी की पूजा करना चाहिए। 


कब है रुक्मिणी अष्टमी 2024? 


पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 23 दिसंबर को शाम 05 बजकर 07 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में इस साल 22 दिसंबर को रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा और उदया तिथि के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी का व्रत 23 दिसंबर को रखा जाएगा। 


रुक्मिणी अष्टमी 2024 पूजन का शुभ मुहूर्त 


अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से 12:41 बजे तक।

गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:27 बजे से 5:55 बजे तक।


रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि 


पूजा सामग्री:


  • श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी की मूर्ति या तस्वीर
  • दक्षिणावर्ती शंख
  • केसर मिश्रित दूध
  • लाल वस्त्र
  • इत्र
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • फल
  • फूल
  • पंचामृत
  • तुलसी
  • गाय का घी


पूजा विधि:


  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी की तस्वीर स्थापित करें।
  • दक्षिणावर्ती शंख से श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध का उपयोग करना चाहिए।
  • पंचोपचार विधि से पूजन करें।
  • देवी रुकमिणी को लाल वस्त्र, इत्र, हल्दी, कुमकुम चढ़ाएं।
  • दूध, दही, घी, शहद और मिश्री को एक साथ मिलाकर पंचामृत बनाएं। किसी शुद्ध बर्तन में भरकर देवी-देवता को भोग लगाएं।
  • ध्यान रखें श्रीकृष्ण को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाना चाहिए।
  • पूजा करते समय कृं कृष्णाय नम: मंत्र या फिर लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप करते रहें।
  • अंत में गाय के घी का दीपक लगाकर, कर्पूर के साथ आरती करें।
  • और फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं।


मंत्र:


  • कृं कृष्णाय नम:
  • ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो 
  • कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:
  • ॐ रुक्मिणी-वल्लभाय स्वाहा


दान:


  • इस दिन दान में सुहागिन महिलाओं को सुहाग की सामग्री भेंट करना शुभ होता है।
  • इससे धन-सौभाग्य में वृद्धि का वरदान मिलता है।


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