कैसे करें एकादशी माता का श्रृंगार?

उत्पन्ना एकादशी के दिन हुआ था एकादशी माता का जन्म, जानिए क्यों नहीं करते माता का सोलह श्रृंगार 

 

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था, इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी की पूजा के साथ-साथ उनके श्रृंगार का भी विशेष महत्व है। सनातन परंपरा के अनुसार, देवियों का सोलह श्रृंगार किया जाता है लेकिन चूंकि एकादशी माता विवाहित नहीं है ऐसे में सोलह श्रृंगार नहीं हो सकता है। आइये जानते हैं उत्पन्ना एकादशी पर माता का श्रृंगार कैसे करे? साथ ही जानेंगे इसके महत्व के बारे में। 



ऐसे करें एकादशी माता का श्रृंगार 


एकादशी को भले ही हम माता कहते हैं, लेकिन वह कुंवारी कन्या हैं ऐसे में हमें उनका श्रृंगार किसी कन्या की भांति ही करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी का श्रृंगार करने के लिए ये सामग्री एकत्रित करें:

  • नए वस्त्र
  • गहने
  • चूड़ियां
  • बिंदी
  • काजल
  • लाली
  • एक चुनरी
  • इसके बाद माता एकादशी का ध्यान करते हुए तुलसी के गमले की मिट्टी से एकादशी माता की प्रतिमा बनाएं। 
  • उस प्रतिमा को गंगाजल या दूध से स्नान कराएं। 
  • इसके बाद माता एकादशी को नए वस्त्र धारण कराएं। 
  • गहने और चूड़ियां पहनाएं। बिंदी, काजल, लाली आदि लगाएं।
  • उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी की पूजा के बाद उन्हें चुनरी उड़ाएं, फिर भगवान विष्णु की आराधना करना शुरू कर दें। 
  • यह भी याद रखें कि उत्पन्ना एकादशी के दिन पहले माता एकादशी की पूजा करें और फिर उसके बाद भगवान विष्णु का पूजन करें।



श्रृंगार के समय इन चीजों का रखें ध्यान 


  • उत्पन्ना एकादशी के दिन तुलसी के गमले की मिट्टी से ही एकादशी माता की प्रतिमा बनाएं। 
  • तुलसी के गमले की मिट्टी से एकादशी माता की प्रतिमा बनाएं। 
  • माता एकादशी के स्नान का जल सिर्फ और सिर्फ तुलसी के पौधे में पूजा के संपन्न हो जाने के बाद डालें। अन्य कहीं भी न बहाएं।
  • अन्य एकादशी तिथियों पर भले ही महिला या पुरुष माता की पूजा करते हों, लेकिन उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता की पूजा घर की कन्या से ही कराएं। 



उत्पन्ना एकादशी पर माता का श्रृंगार करने का महत्व


उत्पन्ना एकादशी पर माता एकादशी का श्रृंगार करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो उनकी महिमा और शक्ति को दर्शाता है। इस दिन माता एकादशी का श्रृंगार करने से कई लाभ होते हैं:

  • माता एकादशी की कृपा: माता एकादशी का श्रृंगार करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • पापों का नाश: माता एकादशी का श्रृंगार करने से पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
  • सुख-समृद्धि: माता एकादशी का श्रृंगार करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार के सदस्यों के बीच सौहार्द और प्रेम बढ़ता है।
  • मानसिक शांति: माता एकादशी का श्रृंगार करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  • आध्यात्मिक लाभ: माता एकादशी का श्रृंगार करने से आध्यात्मिक लाभ होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

........................................................................................................
हे आनंदघन मंगलभवन, नाथ अमंगलहारी (Hey Anand Ghan Mangal Bhawa)

हे आनंदघन मंगलभवन,
नाथ अमंगलहारी,

डमक डम डमरू रे बाजे (Damak Dam Damroo Re Baje)

डमक डम डमरू रे बाजे,
चन्द्रमा मस्तक पर साजे,

देकर शरण अपनी अपने में समा लेना(Dekar Sharan Apani Apne Mein Sama Lena)

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर शरण अपनी अपने में समा लेना ॥

ज्येष्ठ गौरी आह्वान 2024: गणेश जी के आगमन के तीन दिन बाद इस रूप में धरती पर अवतरित होती हैं मां पार्वती

देश भर में गणपति बप्पा का आगमन हो चुका है और हर तरफ गणेशोत्सव की धूम मची हुई है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।