वैशाख अमावस्या पर कैसे करें तर्पण

Vaishakh Amavasya 2025: जानिए वैशाख अमावस्या पर किए जाने वाले तर्पण की विधि, इससे मिलती है पितृ दोष से मुक्ति 


हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ को विशेष पुण्य दायक बताया गया है।


ब्रह्म मुहूर्त में करें तर्पण 

तर्पण करने का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त होता है, यह समय मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए आदर्श माना गया है। यदि ब्रह्म मुहूर्त संभव न हो तो सूर्योदय से ठीक पहले या सूर्योदय के समय तर्पण करें। दोपहर या शाम को तर्पण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।


वैशाख अमावस्या पर चींटी और कुत्ते को भोजन कराने से प्रसन्न होते हैं पितृ 

  • सबसे पहले स्वच्छ होकर स्नान करें। स्नान के बाद पवित्र वस्त्र धारण करें।
  • फिर नदी, तालाब या घर के आंगन में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें और दाहिने हाथ में जल, तिल, कुश और फूल लेकर पितरों का स्मरण करते हुए संकल्प लें। 
  • हथेली को जोड़कर जल को अंजलि बनाकर तीन बार क्रमशः पितृ, पितामह और प्रपितामह के नाम पर अर्पित करें और प्रत्येक अर्पण के साथ ‘ॐ पितृभ्यः स्वधा’ मंत्र बोलें।
  • तर्पण करते समय शांत चित्त होकर अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।
  • यदि संभव हो तो तर्पण के बाद पिंडदान करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन भी कराएं। साथ ही, इस दिन विशेष रूप से गाय, कुत्ते, कौए, और चींटियों को भोजन देना भी शुभ माना जाता है।


वैशाख अमावस्या पर होता है पिंडदान का विशेष महत्व 

हिंदू धर्म में पिंडदान को पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष का सर्वश्रेष्ठ मार्ग माना जाता है। पिंड का अर्थ ‘शरीर या अन्न से बना गोल आकार’, जो आत्मा को भौतिक जगत से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है। इसलिए पिंडदान करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है और वे आशीर्वाद के रूप में अपने वंशजों को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। वैशाख अमावस्या जैसे पवित्र तिथि पर पिंडदान का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन यह कर्म खासतौर पर उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका निधन असमय, दुर्घटना या अन्य कारणों से हुआ हो।


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