चैती छठ पूजा 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें भक्त कड़े नियमों का पालन करते हुए व्रत रखते हैं और उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस पूजा में कुछ विशेष वस्तुओं का इस्तेमाल बहुत जरूरी माना जाता है। सही सामग्री के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। तो आइए जानते हैं छठ पूजा में किन मुख्य वस्तुओं का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
इस पर्व की झलक आपको पूरे देश में देखने को मिल जाएगी, लेकिन इसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश के कई इलाकों समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है और सूर्य देव को प्रसन्न करने से सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है, इसलिए सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो सके।
1. बांस की टोकरी और छलनी
छठ पूजा में बांस की टोकरी और छलनी का विशेष स्थान होता है। इनका इस्तेमाल प्रसाद और पूजा सामग्री रखने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि बांस प्राकृतिक तत्वों से बना होता है और यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
2. ठेकुआ और अन्य प्रसाद
छठ पूजा में मुख्य प्रसाद के रूप में ठेकुआ चढ़ाया जाता है, जिसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है। इसके अलावा खजूर, चना, नारियल, केला और मूली भी चढ़ाई जाती है। पूजा में ये सभी चीजें शुभ मानी जाती हैं।
3. गन्ना और फल
छठ पूजा में गन्ने को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे पूजा स्थल पर रखा जाता है और अर्घ्य देते समय इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सेब, अनार, संतरा, बेल, सीताफल और नींबू जैसे फल भी चढ़ाए जाते हैं।
4. लाल-पीले कपड़े
छठ पूजा के अवसर पर लाल और पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। ये रंग ऊर्जा, सकारात्मकता और समर्पण का प्रतीक हैं।
5. दीपक और गंगाजल
छठ पूजा के दौरान मिट्टी के दीये जलाना शुभ माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और वातावरण शुद्ध होता है। इसके अलावा गंगाजल का इस्तेमाल स्नान, अर्घ्य और प्रसाद के लिए किया जाता है।
6. पानी से भरा कांसे या तांबे का लोटा
छठ पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। यह धातु सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित करने और उसे शुद्ध रूप में वापस भेजने में मदद करती है।
दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। साफ-सफाई, शुभ रंगों और विशेष भोग से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। श्री यंत्र की स्थापना और दीप प्रज्वलन से सुख-समृद्धि का वास होता है।
देव दिवाली देवताओं की दिवाली मानी जाती है। यह दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाने की खुशी में मनाया जाता है।
दिवाली पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को सही तरीके से संभालना बेहद महत्वपूर्ण है। पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ विसर्जित करना और नई मूर्तियों को पूजा स्थल पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। गलत तरीके से मूर्तियों का उपयोग करने से पूजा का फल नष्ट हो सकता है।
हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से ही होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व आते हैं।