दंतेश्वरी, डोंगरगढ़ समेत ये हैं छत्तीसगढ़ के 5 प्रमुख देवी मंदिर, दर्शन करने से मिलता है सौभाग्य लाभ

छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य है जो प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। पौराणिक महत्व रखने वाला ये राज्य मंदिरों और तीर्थ स्थलों से घिरा हुआ है। यहां के कई मंदिर ना केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर अपनी भव्यता और पवित्रता के कारण जाने जाते हैं। यही कारण है कि यहां हर साल भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। खासकर, नवरात्रि जैसे विशेष त्योहारों में इन मंदिरों में विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है। तो चलिए आज हम आपको छत्तीसगढ़ के पांच प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं। 

 

रतनपुर महामाया मंदिर, बिलासपुर 


छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित रतनपुर महामाया मंदिर धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर बिलासपुर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर है। यह माता महामाया को समर्पित है। यह मंदिर लगभग 300 साल प्राचीन है और इसे वास्तुकला की दृष्टि से भी उन्नत माना जाता है। यहां मां महामाया के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और उनकी पूजा करते हैं। यह स्थान नवरात्रि के समय विशेष रूप से आस्था का गढ़ बन जाता है, नवरात्रि के दौरान यहां हजारों भक्त माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


दंतेश्वरी माता मंदिर, दंतेवाड़ा


छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित दंतेश्वरी माता का मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती के दांत गिरे थे। इसलिए इसे "दंतेश्वरी" के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर धार्मिक के साथ पौराणिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। सुदूर दंतेवाड़ा क्षेत्र में होने के बावजूद यहां भक्त बड़ी संख्या में आते हैं। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा अर्चना और उत्सव होता है। 


खल्लारी माता मंदिर, महासमुंद 


महासमुंद जिले से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खल्लारी माता का मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक माहौल मन को शांति प्रदान करती है। खल्लारी माता के धाम पर हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है और नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा और भव्य मेला लगता है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानियों के कारण इसका धार्मिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है।


डोंगरगढ़ देवी मंदिर, डोंगरगढ़


डोंगरगढ़ शहर में स्थित यह मंदिर ऊंची पहाड़ी स्थित है। यहां से पूरे शहर का नजारा भी देखा जा सकता है। डोंगरगढ़ देवी का मंदिर देवी बमलेश्वरी को समर्पित है। नवरात्रि के समय यहां भव्य मेला लगता है। जहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर 1600 फीट की ऊंचाई पर है और यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को सैकड़ों सीढ़ियों की दुर्गम चढ़ाई करनी पड़ती हैं। मान्यता है कि इस दुर्गम चढ़ाई को पूरा करने पर माता से मनचाहा वरदान मिलता है। यह स्थान छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।


महामाया मंदिर, अंबिकापुर 


अंबिकापुर में स्थित महामाया मंदिर भी पहाड़ी पर ही बना हुआ है। यह मंदिर देवी महामाया को समर्पित है और नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां बलि भी चढ़ाई जाती है। यहां की बलि प्रथा भक्तों के लिए एक प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। नवरात्रि के समय यहां विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही इस मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। यह मंदिर अपने धार्मिक महत्त्व के साथ अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।


छत्तीसगढ़ में दुर्गा पूजा का महत्त्व और उत्सव


बताते चलें कि छत्तीसगढ़ राज्य में दुर्गा पूजा बहुत ही धूमधाम और भक्ति भाव से मनाई जाती है। नवरात्रि का समय यहां के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। नवरात्रि में प्रत्येक दिन यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना, आरती और भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में दुर्गा पूजा के दौरान हर मंदिर में विशेष आरती, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है। इन 09 दिनों में जगह- जगह दुर्गा माता की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। जहां भक्त श्रद्धा भाव से माता की पूजा अर्चना करते हैं। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में दुर्गा पूजा का अपना अलग महत्त्व होता है। जहां शहरी इलाकों में बड़े-बड़े पंडालों में दुर्गा माता की मूर्तियों स्थापित की जाती हैं साथ ही विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा मनाई जाती है। इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं और दिन-रात पूजा अर्चना में लगे रहते हैं। 

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