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हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से ही होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व आते हैं। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ गोवर्धन पर्वत की भी पूजा की जाती है। यह पूजा मुख्य रूप से गोवर्धन पर्वत के प्रति प्रेम को दर्शाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। आइए जानते हैं इस बार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा की विधि…
इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक है। इसके बाद दोपहर में 3:23 से 5:35 के बीच भी पूजा की जा सकती है। इस दौरान विशेष विधि से गोवर्धन पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के उस अद्वितीय प्रेम और साहस को सम्मानित करना है जो उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर प्रदर्शित किया। जब इंद्रदेव ने गोकुल वासियों को मूसलाधार वर्षा से त्रस्त कर दिया था तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सबको आश्रय दिया। तब से गोवर्धन पर्वत के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना उत्पन्न हुई। इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है। जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
सजावट और तैयारी: गोवर्धन पूजा के लिए प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। इसके बाद घर के आंगन या पूजा स्थल पर गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इस आकृति को फूलों, रंगों और वस्त्रों से सजाया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की स्थापना: गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को उसके समीप रखें। इनकी विधिपूर्वक पूजा करें। भगवान को फल, मिष्ठान, और अन्नकूट का भोग अर्पित करें।
अन्नकूट का भोग: गोवर्धन पूजा का एक विशेष अंग अन्नकूट का भोग है। इस दिन खिचड़ी, कढ़ी, और चावल का भोग अर्पित किया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
गाय और बैल की पूजा: गोवर्धन पूजा में गाय और बैल का भी विशेष महत्व होता है। गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। उन्हें भोग लगाकर दान दिया जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
परिक्रमा और आरती: गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आरती उतारें और पूजा संपन्न करें। पूजा में भगवान श्रीकृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करें। इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
गोवर्धन पूजा दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का हिस्सा होती है। यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। इस दिन विशेष व्रत और अनुष्ठान किए जाते हैं। परिवार के सदस्यों का इस पूजा में सम्मिलित होना परिवार की एकता और समृद्धि को बढ़ाता है। इस दिन गाय और बैल की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इनकी पूजा करने से समाज में प्रकृति और पशुओं के प्रति प्रेम और आदर की भावना जागृत होती है। इस दिन विशेष विधि से पूजा और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद मिलता है।
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