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पूर्वजों को समर्पित पितृपक्ष भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर बुधवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करेंगे। पितृ पक्ष पंद्रह चंद्र दिनों की अवधि है जब लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं, विशेष रूप से भोजन अर्पित करके। प्रत्येक चंद्र माह को दो बराबर पक्षों में बांटा जाता है, जिन्हें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक पक्ष में पंद्रह चंद्र दिन होते हैं। अनेक स्रोतों में भाद्रपद पूर्णिमा को पितृ पक्ष के पंद्रह दिनों की अवधि में शामिल किया जाता है, जो आमतौर पर पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है। भाद्रपद पूर्णिमा, जिसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, श्राद्ध अनुष्ठान करने के लिए एक शुभ दिन है, लेकिन यह पितृ पक्ष का हिस्सा नहीं है। यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु होने वालों के लिए महालय श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है, न कि भाद्रपद पूर्णिमा पर। भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में जानेंगे कि साल 2024 में पितृपक्ष के दिनों में कौन सी तिथि पर श्राद्ध करना सबसे उपयुक्त माना जाता है? पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किस तिथि पर करना चाहिए श्राद्ध? साथ ही जानेंगे की श्राद्ध क्यों किया जाता है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के तेरह दिनों के बाद, आत्मा यमपुरी के लिए अपनी यात्रा शुरू करती है और वहां पहुंचने में 17 दिन लगते हैं। आत्मा यमपुरी में ग्यारह महीनों तक यात्रा करती है और केवल बारहवें महीने में यह यमराज के दरबार में पहुंचती है। ग्यारह महीनों की अवधि के दौरान, उनके पास भोजन और जल नहीं पहुंच पाता है। माना जाता है कि पुत्र और परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया पिंडदान और तर्पण, आत्मा की भूख और प्यास को संतुष्ट करता है जब तक कि यह यमराज के दरबार में नहीं पहुंच जाती। इसलिए, मृत्यु के पहले वर्ष के दौरान श्राद्ध अनुष्ठानों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
श्राद्धि पूर्णिमा 2024
पंचांग के अनुसार,
पूर्णिमा श्राद्ध मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 12:00 PM से 12:48 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:48 PM से 01:37 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
अपराह्न काल - 01:37 PM से 04:04 PM
अवधि - 02 घंटे 27 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 17, 2024 को 11:44 AM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - सितम्बर 18, 2024 को 08:04 AM बजे
पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा तथा प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। किन्तु यह ध्यान देना आवश्यक है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिये महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। हालाँकि, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, किन्तु यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यतः पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरम्भ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध, जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
प्रतिपदा श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
प्रतिपदा श्राद्ध बुधवार, सितम्बर 18, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:59 AM से 12:48 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:48 PM से 01:37 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
अपराह्न काल - 01:37 PM से 04:03 PM
अवधि - 02 घंटे 27 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 18, 2024 को 08:04 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - सितम्बर 19, 2024 को 04:19 AM बजे
प्रतिपदा श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। प्रतिपदा श्राद्ध तिथि को नाना-नानी का श्राद्ध करने के लिए भी उपयुक्त माना गया है। यदि मातृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए कोई व्यक्ति नहीं है, तो इस तिथि पर श्राद्ध करने से नाना-नानी की आत्मा प्रसन्न होती हैं। यदि किसी को नाना-नानी की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है, तो भी इस तिथि पर उनका श्राद्ध किया जा सकता है। माना जाता है कि, इस श्राद्ध को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। प्रतिपदा श्राद्ध को पड़वा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
द्वितीया श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
द्वितीया श्राद्ध बृहस्पतिवार, सितम्बर 19, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:59 AM से 12:48 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:48 PM से 01:36 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
अपराह्न काल - 01:36 PM से 04:03 PM
अवधि - 02 घंटे 26 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 19, 2024 को 04:19 AM बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - सितम्बर 20, 2024 को 12:39 AM बजे
द्वितीया श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। द्वितीया श्राद्ध को दूज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
तृतीया श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
तृतीया श्राद्ध शुक्रवार, सितम्बर 20, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:59 AM से 12:47 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:47 PM से 01:36 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
अपराह्न काल - 01:36 PM से 04:02 PM
अवधि - 02 घंटे 26 मिनट
तृतीया तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 20, 2024 को 12:39 AM बजे
तृतीया तिथि समाप्त - सितम्बर 20, 2024 को 09:15 PM बजे
तृतीया श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
चतुर्थी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
चतुर्थी श्राद्ध शनिवार, सितम्बर 21, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:58 AM से 12:47 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:47 PM से 01:35 PM
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट
अपराह्न काल - 01:35 PM से 04:01 PM
अवधि - 02 घंटे 26 मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 20, 2024 को 09:15 PM बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - सितम्बर 21, 2024 को 06:13 PM बजे
चतुर्थी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की चतुर्थी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। चतुर्थी श्राद्ध को चौथ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
पंचमी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
पंचमी श्राद्ध रविवार, सितम्बर 22, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:58 AM से 12:46 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:46 PM से 01:35 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:35 PM से 04:00 PM
अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
पंचमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 21, 2024 को 06:13 PM बजे
पंचमी तिथि समाप्त - सितम्बर 22, 2024 को 03:43 PM बजे
पंचमी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन मृतकों के लिए श्राद्ध करना चाहिये जिनकी मृत्यु उनके विवाह के पूर्व हो गयी हो। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया
षष्ठी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
षष्ठी श्राद्ध रविवार, सितम्बर 22, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:58 AM से 12:46 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:46 PM से 01:35 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:35 PM से 04:00 PM
अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 22, 2024 को 03:43 PM बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - सितम्बर 23, 2024 को 01:50 PM बजे
षष्ठी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। षष्ठी श्राद्ध को छठ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
सप्तमी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
सप्तमी श्राद्ध सोमवार, सितम्बर 23, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:58 AM से 12:46 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:46 PM से 01:34 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:34 PM से 04:00 PM
अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
सप्तमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 23, 2024 को 01:50 PM बजे
सप्तमी तिथि समाप्त - सितम्बर 24, 2024 को 12:38 PM बजे
सप्तमी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की सप्तमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
अष्टमी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
अष्टमी श्राद्ध मंगलवार, सितम्बर 24, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:57 AM से 12:46 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:46 PM से 01:34 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:34 PM से 03:59 PM
अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 24, 2024 को 12:38 PM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 25, 2024 को 12:10 PM बजे
अष्टमी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
नवमी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
नवमी श्राद्ध बुधवार, सितम्बर 25, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:57 AM से 12:45 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:45 PM से 01:34 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:34 PM से 03:58 PM
अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
नवमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 25, 2024 को 12:10 PM बजे
नवमी तिथि समाप्त - सितम्बर 26, 2024 को 12:25 PM बजे
नवमी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है,
जिनकी मृत्यु नवमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की नवमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। नवमी श्राद्ध तिथि को मातृ नवमी के रूप में भी जाना जाता है। यह तिथि माता का श्राद्ध करने के लिये सबसे उपयुक्त दिन होता है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है। नवमी श्राद्ध को नवमी श्राद्ध तथा अविधवा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
दशमी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
दशमी श्राद्ध बृहस्पतिवार, सितम्बर 26, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:57 AM से 12:45 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:45 PM से 01:33 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:33 PM से 03:57 PM
अवधि - 02 घंटे 24 मिनट
दशमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 26, 2024 को 12:25 PM बजे
दशमी तिथि समाप्त - सितम्बर 27, 2024 को 01:20 PM बजे
दशमी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु दशमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की दशमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
एकादशी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
एकादशी श्राद्ध शुक्रवार, सितम्बर 27, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:56 AM से 12:45 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:45 PM से 01:33 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:33 PM से 03:57 PM
अवधि - 02 घंटे 24 मिनट
एकादशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 27, 2024 को 01:20 PM बजे
एकादशी तिथि समाप्त - सितम्बर 28, 2024 को 02:49 PM बजे
एकादशी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। एकादशी श्राद्ध को ग्यारस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
द्वादशी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
द्वादशी श्राद्ध रविवार, सितम्बर 29, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:56 AM से 12:44 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:44 PM से 01:32 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:32 PM से 03:55 PM
अवधि - 02 घंटे 24 मिनट
द्वादशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 28, 2024 को 02:49 PM बजे
द्वादशी तिथि समाप्त - सितम्बर 29, 2024 को 04:47 PM बजे
द्वादशी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की द्वादशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। जो लोग मृत्यु से पूर्व सन्यास ग्रहण कर लेते हैं, उनके श्राद्ध के लिये भी द्वादशी तिथि उपयुक्त मानी जाती है। द्वादशी श्राद्ध को बारस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
त्रयोदशी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
त्रयोदशी श्राद्ध सोमवार, सितम्बर 30, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:56 AM से 12:43 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:43 PM से 01:31 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:31 PM से 03:55 PM
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 29, 2024 को 04:47 PM बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - सितम्बर 30, 2024 को 07:06 PM बजे
त्रयोदशी श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। त्रयोदशी श्राद्ध तिथि मृत बच्चों के श्राद्ध के लिए भी उपयुक्त है। इस श्राद्ध तिथि को गुजरात में काकबली एवं बालभोलनी तेरस के नाम से भी जाना जाता है। त्रयोदशी श्राद्ध को तेरस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
चतुर्दशी श्राद्ध 2024
पंचांग के अनुसार,
चतुर्दशी श्राद्ध मंगलवार, अक्टूबर 1, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:55 AM से 12:43 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:43 PM से 01:31 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:31 PM से 03:54 PM
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 30, 2024 को 07:06 PM बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 01, 2024 को 09:39 PM बजे
चतुर्दशी श्राद्ध तिथि केवल उन मृतकों के श्राद्ध के लिये उपयुक्त है, जिनकी मृत्यु किन्हीं विशेष परिस्थितियों में हुई हो, जैसे किसी हथियार द्वारा मृत्यु, दुर्घटना में मृत्यु, आत्महत्या अथवा किसी अन्य द्वारा हत्या। इनके अतिरिक्त चतुर्दशी तिथि पर किसी अन्य का श्राद्ध नहीं किया जाता है, अपितु इनके अतिरिक्त चतुर्दशी पर होने वाले अन्य श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किये जाते हैं। चतुर्दशी श्राद्ध को घट चतुर्दशी श्राद्ध, घायल चतुर्दशी श्राद्ध तथा चौदस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
अमावस्या श्राद्ध 2024
अमावस्या श्राद्ध बुधवार, अक्टूबर 2, 2024 को
कुतुप मुहूर्त - 11:55 AM से 12:43 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त - 12:43 PM से 01:30 PM
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल - 01:30 PM से 03:53 PM
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 01, 2024 को 09:39 PM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 03, 2024 को 12:18 AM बजे
अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन मृत सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि तथा चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई सम्पूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो, तो वो मात्र अमावस्या तिथि पर श्राद्ध (सभी के लिये) कर सकता है। अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध, परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिये पर्याप्त है। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इसलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिये महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है, न कि भाद्रपद पूर्णिमा पर। हालांकि, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, किन्तु यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यतः पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरम्भ होता है। अमावस्या श्राद्ध को अमावस श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में महालय अमावस्या नवरात्रि उत्सव के आरम्भ का प्रतीक है। देवी दुर्गा के भक्तों का मानना है कि, इस दिन देवी दुर्गा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
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