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Iमहाकुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। ये प्रत्येक 12 साल में आयोजित होता है। इसके बीच 6 साल के अंतराल पर अर्धकुंभ और हर 3 साल में कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है। आखिरी बार महाकुंभ मेला साल 2013 में प्रयागराज में हुआ था। इसके बाद 2019 में यहां अर्धकुंभ मेले का आयोजन हुआ। अब 2025 में महाकुंभ का आयोजन फिर से होने जा रहा है। यह मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है, जिससे दुनियाभर से करोड़ों लोग शामिल होने पहुंचते हैं।
कुंभ मेले के दौरान संगम में स्नान को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। यह पर्व धर्म, संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम है। शाही स्नान महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा, जो पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 8 मार्च 2025 तक चलेगा। महाकुंभ के दौरान विशेष शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं।
1. 13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा
2. 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
3. 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
4. 3 फरवरी 2025: वसंत पंचमी
5. 12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा
6. 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि
बता दें कि इन दिनों में संगम तट पर स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इन तिथियों पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथों में समुद्र मंथन की कथा से मिलता है। जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर संघर्ष हुआ, तब भगवान विष्णु ने कलश को चार स्थानों पर रखा। मान्यता है कि तभी से इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का भव्य और अद्भुत आयोजन होता है।
1. प्रयागराज: जब सूर्य मकर राशि में होता है।
2. हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं।
3. नासिक: जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।
4. उज्जैन: जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं।
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर किया जाएगा। यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। प्रयागराज का महाकुंभ अपनी विशालता, भव्यता और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के लिए जाना जाता है।
महाकुंभ के अन्य आयोजन स्थल
कुंभ मेले का आयोजन चार प्रमुख स्थानों पर होता है।
1. हरिद्वार: सूर्य के मेष राशि और बृहस्पति के कुंभ राशि में होने पर।
2. प्रयागराज: सूर्य के मकर राशि में होने पर।
3. नासिक: सूर्य और बृहस्पति के सिंह राशि में होने पर।
4. उज्जैन: बृहस्पति के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर।
कुंभ मेले की परंपरा हजारों साल पुरानी है। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक एकता का प्रतीक है। हर कुंभ में करोड़ों लोग संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं इसमें देश-विदेश से साधु-संत, अघोरी और नागा साधु भी पहुंचते हैं। 2019 में प्रयागराज कुंभ मेले में 200 मिलियन से ज्यादा लोग शामिल हुए, जो विश्व का सबसे बड़ा मेला था। 2027 में कुंभ मेला नासिक में आयोजित होगा।
महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति और धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज को एक सूत्र में बांधने का भी कार्य करता है। यदि आप इस अद्भुत और भव्य आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो महाकुंभ 2025 में शामिल होकर आस्था की इस महायात्रा का अनुभव कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने महाकुंभ 2025 को लेकर विशेष तैयारियां की हैं। श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छता, सुरक्षा और परिवहन की बेहतर व्यवस्था की जा रही है। डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर यातायात और भीड़ प्रबंधन में भी सहायता ली जाएगी।
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