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महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग

महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग

MahaKumbh 2025: महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग, जानें इस संयोग के बारे में 


हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है। यह हिंदू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा समागम है।  इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का पर्व कहा जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं । इस बार यह समागम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा है। जिसे महाकुंभ 2025 कहा जा रहा है। 13 जनवरी से इसकी शुरुआत होगी और 27 फरवरी को यह खत्म होगा। इस बार का महाकुंभ इसलिए भी खास है, क्योंकि 144 साल बाद खास संयोग बन रहे हैं। जो बेहद शुभ और फलदायी है। ऐसे में सभी लोगों को इस संयोग के बारे में जानना चाहिए। चलिए आपको महाकुंभ के पहले दिन बनने वाले खास संयोग के बारे में बताते हैं।



पहले दिन बन रहा ‘त्रिपुष्कर योग’


13 जनवरी से प्रयाग महाकुंभ शुरू होगा। वैसे तो पहला दिन हमेशा विशेष माना जाता है, लेकिन इस बार ग्रह नक्षत्रों की स्थिति और खास संयोगों के कारण यह दिन और भी खास हो गया है।   इस दिन शनि, गुरु और चंद्रमा विशेष योग बना रहे हैं, जिसे ज्योतिष में "त्रिपुष्कर योग" कहा जाता है। यह योग शुभ कार्यों की पूर्ति के लिए सबसे आदर्श माना जाता है। इसके अलावा कुंभ के पहले दिन दान करना आम दिनों से ज्यादा बेहद फलदायी माना जाता है। इस बार खास संयोग से इसका प्रभाव और बढ़ रहा है। इसलिए पहले त्रिवेणी संगम पर  स्नान करें और जीवन में सुख सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए दान पुण्य करें।



संयोग के पौराणिक और धार्मिक कारण 


माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत निकला था, उसकी बूंदे चार स्थानों पर गिरी थी। जहां आज कुंभ का आयोजन होता है। ज्योतिषों के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान जो संयोग बना था, वहीं संयोग इस बार महाकुंभ के दौरान बन रहा है, जिससे इसका महत्व बढ़ गया है।



मोक्ष की होगी प्राप्ति 


महाकुंभ के पहले दिन शाही स्नान शुभ मुहूर्त में करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी और पापों से मुक्ति मिलेगी। इसलिए पहले दिन शुभ संयोग में देवताओं की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए गंगा स्नान करने के बाद दान , पुण्य और मंत्रोच्चार करें। जिससे पितरों को भी शांति मिलेगी। और आपके मन की भी शुध्दि होगी।


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चैती छठ की पौराणिक कहानी

छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।

चैती छठ की पूजा विधि

हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।

संतान प्राप्ति के लिए छठ पर ये उपाय करें

छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।

7 April 2025 Panchang (7 अप्रैल 2025 का पंचांग)

आज 07 अप्रैल 2025 चैत्र माह का बाईसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि दशमी है। आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर धृति योग रहेगा।

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