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पितृपक्ष में पिंडदान करने आ रहे हैं, गया तो लेना ना भूले ये विशेष उपहार

बिहार के गया जिले में इस वर्ष के आज से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेले को लेकर विशेष तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है।  पितृपक्ष मेला 2024, जो 17 सितंबर यानी आज से शुरू होकर 02 अक्टूबर तक चलेगा इसमें देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए गया आएंगे। इस बाबत बिहार सरकार ने तीर्थयात्रियों और पिंडदानियों के लिए एक अनोखी योजना बनाई है, जिसके तहत उन्हें सरकार की ओर से गंगाजल उपहार स्वरूप भेंट किया जाएगा।


मुख्यमंत्री की अनोखी योजना


गया जिला प्रशासन के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह इच्छा है कि जो भी श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर पिंडदान के लिए आएंगे, उन्हें उपहार के रूप में शुद्ध गंगाजल दिया जाए। इसके लिए जल संसाधन विभाग और मगध दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड (सुधा डेयरी) को समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि बीते 07 सितंबर को मुख्यमंत्री ने पितृपक्ष मेला को लेकर समीक्षा बैठक की थी, जिसमें यह निर्देश दिया गया था कि गंगाजल की पैकेजिंग और वितरण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए।


गंगाजल की पैकेजिंग और वितरण


गंगाजल को सुधा डेयरी द्वारा शुद्ध कर इसकी पैकेजिंग की जाएगी। पैकेजिंग के ऊपर सरकार की ओर से स्वीकृति प्रदान की जाएगी और उस पर योजना से संबंधित स्लोगन और एक संदेश भी प्रिंट किया जाएगा। श्रद्धालुओं को यह गंगाजल पूजा-पाठ और पीने के लिए मुफ्त में दिया जाएगा। प्रत्येक पैकेज में 500 मिलीलीटर गंगाजल होगा, जिसे तीर्थयात्री अपने घर भी लेकर जा सकेंगे। इस योजना का उद्देश्य हर दिन कम से कम 10,000 तीर्थयात्रियों को गंगाजल उपहार स्वरूप प्रदान करना है। संख्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए सुधा डेयरी ने भी अपनी तैयारियों को तेज कर लिया है।


श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था


इस बार गया जिला प्रशासन ने पितृपक्ष मेले के दौरान पिंडदान करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। पिंडदानियों के लिए गंगाजल के साथ-साथ ठहरने, स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षा, और यातायात की पूरी व्यवस्था की गई है। गंगा जल वितरण के लिए विभिन्न सरकारी स्टालों की स्थापना की जाएगी, जहाँ से श्रद्धालु आसानी से यह उपहार प्राप्त कर सकेंगे। प्यूरीफाई किया गया गंगाजल तीर्थयात्रियों को इस भावना के साथ दिया जाएगा कि वे अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र जल का प्रयोग कर सकें।


गयाजी का धार्मिक महत्व और गंगा उद्भव योजना


गया में पिंडदान का धार्मिक महत्व प्राचीन समय से ही माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान गया में पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। फल्गु नदी के तट पर देवघाट जैसे स्थान पिंडदान के लिए प्रमुख माने जाते हैं, और यहां साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं। बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई गंगा उद्भव योजना ने इस क्षेत्र को और भी पवित्र और श्रद्धा का केंद्र बना दिया है। इस योजना के तहत गंगा का जल फल्गु नदी में लाया गया, जो अब गया के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन चुका है।


फल्गु नदी और गयाजी डैम


फल्गु नदी, जो कि अंतःसलिला मानी जाती है, सालों तक सूखी रहती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने गयाजी डैम का निर्माण कराया, जो आज श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बन गया है। पितृपक्ष के दौरान इस नदी के तट पर लाखों लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करने के लिए आते हैं। गया के इस धार्मिक आयोजन का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी काफी बढ़ गया है। बता दें कि पितृपक्ष मेला 2024 के दौरान बिहार सरकार की यह योजना श्रद्धालुओं को एक अनोखा उपहार प्रदान करने के साथ ही राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाएगी। गंगाजल का वितरण न केवल एक धार्मिक उपहार होगा, बल्कि यह श्रद्धालुओं के लिए सरकार द्वारा उनके सम्मान और सेवा का प्रतीक भी होगा।

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