हिंदू धर्म में वैशाख माह की अमावस्या तिथि विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ होता है। पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वैशाख अमावस्या पर विशेष उपाय और पूजा करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
वैशाख अमावस्या के दिन पितृ चालीसा का पाठ करना एक फल दायक उपाय माना गया है। पितृ चालीसा एक विशेष स्तोत्र है, जो पितरों को समर्पित है। यह चालीसा पितृ दोष को दूर करने में सहायक होती है और मन को शुद्ध करता है। साथ ही, शांति भी प्रदान करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की कृपा से जीवन में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।
कार्तिगाई दीपम पर्व प्रमुख रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं।
जया एकादशी का उपवास हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करने की मान्यता है।