भ्रम, क्रोध, अकस्मात लेन देन करने वाले, अज्ञात भय देने वाले, राजनीति, विदेशी व्यापार, सॉफ्टवेयर से जुड़े क्षेत्र के कारक ग्रह राहु देव हैं, वैसे तो राहु की अपनी कोई राशि नही हैं और इस की स्तिथि का कोई अनुमान नही हैं क्यूंकि ये एक छाया ग्रह हैं फिर भी ज्योतिष शास्त्रीयों के अनुसार राहु सूर्य से 10,000 योजन नीचे रहकर अंतरिक्ष में भ्रमण करता है।
छाया ग्रह वो होते हैं जो द्रव्यमान रहित होते हैं ग्रह नही होते अपितु ग्रह की मात्र छाया होते हैं फिर भी इस ग्रह का पूर्ण प्रभाव वास्तविकता के साथ ज्योतिष शास्त्र में देखने को मिलता हैं जिस प्रभाव से कलयुग में मनुष्य सब से अधिक प्रभावित रहता हैं क्यूंकि राहु ही कलयुग की माया है
विष्णु पुराण के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग में धन, ऐश्वर्य और वैभव खत्म हो गया. इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब विष्णु जी ने देवों को असुरों के साथ संधि करके समुद्र मंथन कराने का उपाय बताया, इस समुद्र मंथन से अमृत कलश प्रकट हुआ और जब यह अमृत दोनो दलों के बीच बँट रहा था तब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण किया और अपनी माया से देवताओं को पहले अमृत पान कराने लगे, इस बात का अंदाजा स्वरभानु असुर को हुआ और स्वरभानु अमृतपान करने के लिए देवताओं के बीच बैठ गया तो सूर्य और चंद्र ने मोहिनी का रूप धरकर अमृत पिला रहे विष्णु जी से उसकी पोल खोल दी। श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया, राक्षस के सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु कहलाया। केतु के बारे में जानकारी के लिए नवग्रह विशेष का केतु सम्बंधित लेख देखें।
इसलिए राहु के उपाय भी बुधवार को होते है, राहु मिथुन राशि में 15 अंश पर उच्च व धनु राशि में 15 अंश पर नीच का होता है, कई ज्योतिषियों के अनुसार वृष राशि में भी उच्च का प्रभाव देता है और वृश्चिक राशि में नीच का प्रभाव देता है राहु का रत्न गोमेद होता है लेकिन इसे बिना ज्योतिषीय परामर्श के न पहनें।
राहु का प्रतिनिधित्व माँ दुर्गा करती हैं।
ऊपर दिए गए सभी उपाय और मंत्र ऐसे तो दैनिक चर्या में उपयोग किये जा सकते हैं फिर भी किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर ही अपनी कुंडली के शुभाशुभ अनुसार ही इनका प्रयोग करें।क्यूंकि ये देखना बहुत जरूरी है कि आपको ग्रह का दान करना है, जाप करना है या रत्न धारण करना है।
हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन बेहद खास होता है। आमतौर पर यह दिन केक काटने, मोमबत्तियां बुझाने और पार्टी करने में बीत जाता है। लेकिन हिंदू संस्कृति में यह दिन सिर्फ उत्सव नहीं, एक आध्यात्मिक अवसर होता हैI
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 22 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि के साथ रविवार का दिन है। इसके साथ ही आज भरणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा और धृत्ति योग का निर्माण हो रहा है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हर महीने में दो एकादशी तिथियां आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इनमें से आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का अत्यंत पावन महत्व है। यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आती है और भगवान विष्णु की आराधना के लिए प्रमुख मानी जाती है। इस व्रत को करने से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।