महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े समागमों में से एक है। 13 फरवरी से प्रयागराज में इसकी शुरुआत होने जा रही है। ये 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को शिवरात्रि के मौके पर खत्म होगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु और साधु संत शाही स्नान करने के लिए संगम पहुचेंगे। माना जाता है कि शाही स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही नहीं इससे रोग भी दूर रहते हैं। हालांकि शाही स्नान के बाद कुछ उपायों को अपनाने से इसका प्रभाव और अधिक सकारात्मक हो सकता है। ये उपाय न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माने जाते हैं। चलिए आर्टिकल के जरिए आपको उन उपायों के बारे में बताते हैं।
सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। ये आपके जीवन के लिए ऊर्जा के स्त्रोत के साथ सफलता और समृद्धि का भी प्रतीक होता है। इसलिए शाही स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देना लाभकारी माना जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि जब आप सूर्य को अर्घ्य दे रहे हो, तो उस दौरान सूर्य के मंत्रों का भी जाप करें। इससे जीवन में धन और बुद्धि की वृद्धि होगी।
शाही स्नान के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। साथ ही कर्मों का संतुलन बनता है। इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी कम होते है और जीवन की कई समस्याएं कम हो जाती है।
शाही स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें। इसके साथ ही जल चढ़ाते समय 'ऊं नमो नारायणाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। यह उपाय करने से आपके घर में खुशहाली बनी रहेगी। साथ ही आपको आर्थिक समस्याओं से भी राहत मिलेगी।
शाही स्नान के बाद सात्विक और पवित्र भोजन ग्रहण करें। इससे शरीर और मन शुद्ध रहेगा। इसके अलावा शाही स्नान के बाद मांस, मदिरा और अन्य तामसिक पदार्थों से परहेज करें। ऐसा करने से अशुद्धि आती है।
शाही स्नान के बाद योग और ध्यान करने से शरीर की शुद्धि होती है। मन शांत होता है और सकारात्मक विचार आते हैं। इसलिए शाही स्नान के बाद इस उपाय को करना बेहद लाभकारी माना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रिय है। माघ पूर्णिमा के पर्व को वसंत ऋतू के आगमन के दौरान मनाया जाता है।
ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी, जगत जननी मानी जाती हैं।
ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी जगत जननी हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अगर व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ मां की पूजा करे तो मां उसे शक्ति प्रदान करती हैं।