ज्योतिष शास्त्र में बुधदेव को सभी ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है और इन्हें ज्ञान, वाणी, बुद्धि और व्यापार का कारक माना जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए बुधवार का दिन विशेष माना जाता है। इस दिन बुधदेव की पूजा करने से बुध ग्रह मजबूत होता है और व्यक्ति को कई लाभ मिल सकते हैं। अगर आपको व्यापार में बार-बार कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, तो बुधदेव की पूजा विधि-विधान के साथ करने से लाभ हो सकती है। अब ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं कि बुधदेव की पूजा किस विधि से करें और पूजा का महत्व क्या है।
बुधदेव देव की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसलिए इनकी पूजा विधिवत रूप से करें।
बुधदेव को बुद्धि का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है। बुधदेव वाणी के देवता भी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति की वाणी में मधुरता आती है। बुधदेव व्यापार के देवता भी हैं। उनकी पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है और लाभ होता है। बुधदेव शिक्षा के देवता भी हैं। उनकी पूजा करने से छात्रों को सफलता मिल सकती है। अगर आपका काम बनते-बनते बिगड़ जाता है, तो बुधदेव की पूजा करने के दौरान उन्हें पान के पत्ते जरूर चढ़ाएं।
सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।
माता शबरी रामायण की एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जिन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया था। शबरी ने भगवान राम और माता सीता की प्रतीक्षा में वर्षों तक वन में निवास किया था।
शारदीय नवरात्र के बाद 10वें दिन दशहरे का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।