अब ना बानी तो फिर ना बनेगी (Ab Naa Banegi Too Phir Na Banegi)

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


हीरा सा जनम क्यों विरथा गवायों

ना सत्संग कियो हरी गुण गायो

जननी तेरी तुझे फिर ना जनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


तेरी जवानी भरम भुलानी

गुरु पितु मात की बात मानी

नैया कहो कैसे पार लगेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


ओ प्राणी तेरी माटी

धरणी गिरत है पतंग ज्यो काटी

माटी में माटी मिल रहेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता

नर तन बार बार नहीं मिलता

नर तन बार बार नहीं मिलता

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पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम

पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।

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कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद ।

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