अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
हीरा सा जनम क्यों विरथा गवायों
ना सत्संग कियो हरी गुण गायो
जननी तेरी तुझे फिर ना जनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
तेरी जवानी भरम भुलानी
गुरु पितु मात की बात मानी
नैया कहो कैसे पार लगेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
ओ प्राणी तेरी माटी
धरणी गिरत है पतंग ज्यो काटी
माटी में माटी मिल रहेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
नर तन बार बार नहीं मिलता
नर तन बार बार नहीं मिलता
आओ गजानंद प्यारा,
बेगा पधारो गणपति जी,
गजानंद जी ने,
ल्यावो रे मनाय,
प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥
ओ गणनायक महाराज सुमिरा जोडू दोनों हाथ,
ओ गणनायक महाराज,