अब ना बानी तो फिर ना बनेगी (Ab Naa Banegi Too Phir Na Banegi)

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


हीरा सा जनम क्यों विरथा गवायों

ना सत्संग कियो हरी गुण गायो

जननी तेरी तुझे फिर ना जनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


तेरी जवानी भरम भुलानी

गुरु पितु मात की बात मानी

नैया कहो कैसे पार लगेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


ओ प्राणी तेरी माटी

धरणी गिरत है पतंग ज्यो काटी

माटी में माटी मिल रहेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो,

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता


अब ना बानी तो फिर ना बनेगी

नर तन बार बार नहीं मिलता

नर तन बार बार नहीं मिलता

नर तन बार बार नहीं मिलता

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श्री विष्णु दशावतार स्तोत्रम् (Shri Vishnu Dashavatar Stotram)

प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनती है

मकर संक्रांति का त्योहार आगामी 14 जनवरी को है। देश के कई हिस्सों में इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति संबंधित है।

जय गणेश गणनाथ दयानिधि (Jai Ganesh Gananath Dayanidhi)

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

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