दादी को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की,
मैया को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
गंगा भी बोले दादी,
यमुना भी बोले दादी,
गंगा भी बोले दादी,
यमुना भी बोले दादी,
सरयू की धार से आवाज आए,
जय दादी की,
दादीं को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
धरती भी बोले दादी,
अम्बर भी बोले दादी,
धरती भी बोले दादी,
अम्बर भी बोले दादी,
झुंझनू के कण कण से आवाज आए,
जय दादी की,
दादीं को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
ब्रम्हा भी बोले दादी,
विष्णु भी बोले दादी,
ब्रम्हा भी बोले दादी,
विष्णु भी बोले दादी,
शंकर के डमरू से आवाज आए,
जय दादी की,
दादीं को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
सूरज भी बोले दादी,
चंदा भी बोले दादी,
सूरज भी बोले दादी,
चंदा भी बोले दादी,
तारों के मंडल से आवाज आए,
जय दादी की,
दादीं को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
दादी को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की,
मैया को नाम अनमोल,
बोलो जय दादी की ॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भक्त श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी महत्व है। चतुर्थी का पर्व शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 1 फरवरी 2025 को है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।