दादी मैं थारी बेटी हूँ (Dadi Mein Thari Beti Hu)

दादी मैं थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज,

मैया मैं थारी लाडो हूँ,

रखियो मेरी लाज,

धन दौलत दीजो मत दीजो,

धन दौलत दीजो मत दीजो,

दीजो अमर सुहाग,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥


मेरो धन दौलत मेरो साजन,

मेरो स्वर्ग पति को आँगन,

बण्यो रवे बस साजन मेरो,

बण्यो रवे बस साजन मेरो,

दीजो आशीर्वाद,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥


मेहंदी की लाली ने बोल दे,

चूड़ी नथ बाली ने बोल दे,

मेरी जबतक सांस चले ये,

मेरी जबतक सांस चले ये,

मेरो निभावे साथ,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥


दादी थारी भक्ति दीजो,

मन में इतनी शक्ति दीजो,

हँसते हँसते सुख दुःख झेलूं,

हँसते हँसते सुख दुःख झेलूं,

मेरे पति के साथ,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥


थारे पर ही जोर है मेरो,

थारे सिवा कुंण ओर है मेरो,

बेटी तो माँ ने ही बोले,

बेटी तो माँ ने ही बोले,

‘सोनू’ दिल की बात,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥


दादी मैं थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज,

मैया मैं थारी लाडो हूँ,

रखियो मेरी लाज,

धन दौलत दीजो मत दीजो,

धन दौलत दीजो मत दीजो,

दीजो अमर सुहाग,

दादी मै थारी बेटी हूँ,

रखियो मेरी लाज ॥

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लागी लगन शंकरा - शिव भजन (Laagi Lagan Shankara)

भोले बाबा तेरी क्या ही बात है,
भोले शंकरा तेरी क्या ही बात है,

माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

मार्गशीर्ष की अशुभ तिथियां

धार्मिक मान्यता है मार्ग शीर्ष का माह भगवान श्री कृष्ण को अधिक प्रिय माना जाता है। यही वजह है कि इस दौरान तामसिक भोजन ना करने की सलाह भी धार्मिक ग्रंथो में दी जाती है।

ज्वारे और अखंड ज्योत की परंपरा

तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना ​​का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है I

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