दादी मैं थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज,
मैया मैं थारी लाडो हूँ,
रखियो मेरी लाज,
धन दौलत दीजो मत दीजो,
धन दौलत दीजो मत दीजो,
दीजो अमर सुहाग,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
मेरो धन दौलत मेरो साजन,
मेरो स्वर्ग पति को आँगन,
बण्यो रवे बस साजन मेरो,
बण्यो रवे बस साजन मेरो,
दीजो आशीर्वाद,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
मेहंदी की लाली ने बोल दे,
चूड़ी नथ बाली ने बोल दे,
मेरी जबतक सांस चले ये,
मेरी जबतक सांस चले ये,
मेरो निभावे साथ,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
दादी थारी भक्ति दीजो,
मन में इतनी शक्ति दीजो,
हँसते हँसते सुख दुःख झेलूं,
हँसते हँसते सुख दुःख झेलूं,
मेरे पति के साथ,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
थारे पर ही जोर है मेरो,
थारे सिवा कुंण ओर है मेरो,
बेटी तो माँ ने ही बोले,
बेटी तो माँ ने ही बोले,
‘सोनू’ दिल की बात,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
दादी मैं थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज,
मैया मैं थारी लाडो हूँ,
रखियो मेरी लाज,
धन दौलत दीजो मत दीजो,
धन दौलत दीजो मत दीजो,
दीजो अमर सुहाग,
दादी मै थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज ॥
नागा साधु कुंभ मेले की शोभा बढ़ाने वाले अद्वितीय साधु हैं। जो नग्न रहते हैं और शस्त्र विद्या में निपुण होते हैं। ये साधु शैव अखाड़ों से जुड़े हैं और इनका जीवन कठोर तप और साधना से भरा होता है।
भारतीय संस्कृति में व्रत और उपवास का विशेष महत्व है। व्रत के दौरान लोग धान, गेहूं और मसालेदार भोजन से परहेज करते हुए फलाहार करते हैं।
भगवान शिव के रुद्राभिषेक से लेकर साधारण पूजा तक उनको अर्पित की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। शास्त्रों में शिव को अर्पित होने वाली प्रत्येक सामग्री का महत्व बताया गया है।
हिंदू धर्म में गाय को अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे केवल एक पशु नहीं, बल्कि मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय समाज में गाय का स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि इसकी पूजा की जाती है और इसे देवी का स्वरूप माना जाता है।