दरश एक बार दिखाना रे, शिव शंकर डमरू वाले(Darsh Ek Bar Dikhana Re Shiv Shankar Damru Wale)

दरस एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥

इतना बताओ शम्भू मेरे,

तुमने कहाँ कहाँ डाले डेरे,

मुझे वो द्वार बताना रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


भोले कितने धाम तुम्हारे,

तुमको ढूंढ ढूंढ के हारे,

तेरा दरबार मिला ना रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


विनती सुनो महाकालेश्वर,

दर्शन दे दो ओम्कारेश्वर,

तेरी मैं हुई दीवानी रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


कर दो किरपा काशीनाथ,

चित भूमि के बैदनाथ,

सोया भाग जगाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


मुझको बता दो श्री गणेश,

मिलेंगे कहाँ पे शिव नागेश,

मुझे उनसे मिलवाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


बारह शिवलिंगो के रूप,

मुझको दिखा दो सभी स्वरुप,

मुझे तेरा ही सहारा रे,

शिव शंकर डमरू वाले,

दरश एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥


दरस एक बार दिखाना रे,

शिव शंकर डमरू वाले ॥

........................................................................................................
गुरु दक्षिणा पूजा विधि

गुरु दक्षिणा की परंपरा हिंदू संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही है। किसी भी व्यक्ति की सफलता में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए, इस पूजा के जरिए हम अपने गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

मैं हार गया जग से, अब तुमको पुकारा है (Main Haar Gaya Jag Se Ab Tumko Pukara Hai)

मैं हार गया जग से,
अब तुमको पुकारा है,

साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

कार्तिक पूर्णिमा: पूजा विधि

भारत में कार्तिक पूर्णिमा एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन लोग बड़ी संख्या में गंगा तट पर पहुंचकर स्नान करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने