हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती
विद्या दायिनी सरस्वती
नारायणी नमोस्तुते ॥
हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती
विद्या दायिनी सरस्वती
नारायणी नमोस्तुते ॥
तू राह दिखाना मात मेरी
साथ निभाना मात मेरी
अँधियारा है अंतर मन
ज्योत जलना मात मेरी ..x2
हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती
विद्या दायिनी सरस्वती
नारायणी नमोस्तुते ॥ ..x2
मन में करुणा भर देती
निष्पाप ह्रदय तू कर देती
भक्ति से तुझे पूजे जो
सुबह आस तू मन में भर देती ..x2
हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती
विद्या दायिनी सरस्वती
नारायणी नमोस्तुते ॥
हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती
विद्या दायिनी सरस्वती
नारायणी नमोस्तुते ॥
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संकटों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 विशेष रूप से चैत्र मास में मनाई जाती है और इस दिन गणपति बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा भी कहते हैं, माता शीतला को समर्पित एक पवित्र पर्व है। यह होली के बाद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे होली के आठ दिन बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को भी मनाते हैं।
शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है, होली के सात दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग अर्पित किया जाता है।