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मां सरस्वती पूजा विधि

मां सरस्वती पूजा विधि

माता सरस्वती की पूजा की ये है सही विधि, बेहतर फल के लिए मौन रहकर करें ध्यान 


माँ सरस्वती जो ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की महादेवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से माघ शुक्ल पंचमी यानी बसंत पंचमी के दिन की जाती है। हालांकि, इसके अलावा भी सरस्वती माता की पूजा लोग विद्या की देवी के रूप में सालों भर करते हैं। यहाँ सरस्वती पूजन की संपूर्ण विधि, सामग्री और तैयारी का विस्तृत वर्णन दिया गया है। 


पूजा की तैयारी


  • स्नान और वस्त्र: प्रातः स्नान कर शुद्ध पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
  • प्रतिमा या तस्वीर: माँ सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर को साफ और शुभ स्थान पर स्थापित करें।
  • दक्षिणा और संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले मन में देवी का ध्यान करें और संकल्प लें।


पूजा की सामग्री


  • माँ सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर। सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, चंदन, हल्दी-कुमकुम, सिंदूर, धूप, दीपक, अगरबत्ती। 
  • पूजा के लिए पुस्तकें और कलम। फल: केला, सेव, बेर, मिश्रीकंद।
  • नैवेद्य (मिठाई और प्रसाद)
  • अक्षत (चावल), अबीर-गुलाल
  • पान, सुपारी, खोंयछा सामग्री
  • माँ सरस्वती को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं, जैसे सफेद वस्त्र, पुष्प, मिठाई और चंदन।


जानिए पूजा विधि


1. पूजा स्थल पर बैठकर पंचदेवता यानी गणेश, विष्णु, शिव, दुर्गा, सूर्य और नवग्रह की पूजा करें।

2. हाथ में जल, चंदन, पुष्प लेकर संकल्प मंत्र पढ़ें। 

माँ सरस्वती की पूजा

1. माँ की प्रतिमा के चरणों में जल, चंदन, पुष्प, अक्षत अर्पित करें।

2. माँ के वाहन हंस, वीणा और पुस्तक का ध्यान करते हुए "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें।

3. दीपक जलाकर और अगरबत्ती लगाकर माँ को पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।

4. पुस्तकें और कलम माँ के चरणों में रखकर ज्ञान और विवेक की प्रार्थना करें।


सरस्वती वंदना और आरती


पूजा के बाद माँ सरस्वती की वंदना करें।


ध्यान मंत्र

"या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥"


वंदना के बाद माँ सरस्वती की आरती


पूजा स्थान पर व्यवस्थित सामग्रियों के साथ बैठें। धूप-दीप जला लें। पवित्रीकरण, दिग्बंधन, स्वस्तिवाचन, पञ्चदेवता और विष्णु पूजनकरके संकल्प करें। संकल्प हेतु त्रिकुशा, पान, सुपारी, तिल, जल, पुष्प, चंदन, द्रव्य आदि लेकर संकल्प मंत्र पढ़ें। 


।।संकल्प मंत्र।।

"ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्यैतस्य मासे माघे शुक्लपक्षे पञ्चम्यां तिथौ ………… गोत्रस्य मम श्री ………… सपरिवारस्य भगवत्याः श्रीसरस्वत्याः पूजनं अहं करिष्ये।"


सरस्वती माता की आरती


जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥


प्रसाद वितरण


पूजा के अंत में सभी उपस्थित लोगों में प्रसाद का वितरण करें और माँ सरस्वती का आशीर्वाद लें।


विशेष पूजन सामग्री और मंत्र


1. दीपक अर्पण मंत्र: "ॐ अग्निर्ज्योती रविर्ज्योतीश्चन्द्र ज्योतिस्तथैव च।

ज्योतिषामुत्तमो देवि दीपोऽयं प्रतिगृह्यतां।"

2. नैवेद्य अर्पण मंत्र: "ॐ नैवेद्यं घृत्सन्युक्तं नानारस समन्वितं।

मया निवेदितं भक्त्या गृहाण सुरपूजिते।"

3. जल अर्पण मंत्र: "ॐ पानीयं शीतलं स्वच्छं कर्पूरादि सुवासितं।

भोजने तृप्तिकृद्यस्मात् कृपया परिगृह्यतां।"

4. ताम्बूल अर्पण मंत्र: "ॐ पूगिफलं महद्दिव्यं नागवल्ली समन्वितं।

संशाधितं सुगन्धं च ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां।"


विशेष सुझाव 


  • पूजा में मौन और ध्यान बनाए रखें।
  • पूजा स्थल और सामग्री को व्यवस्थित रखें।
  • पूजा के दौरान मंत्र जाप और ध्यान करते हुए माँ सरस्वती से ज्ञान और शुद्ध बुद्धि की कामना करें। यह पूजा विधि सरल, प्रभावी और माँ सरस्वती के आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम मार्ग है।

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मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे(Mere Ram Rai Tu Santa Ka Sant Tere)

मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥

मेरे संग संग चलती(Mere Sang Sang Chalti)

संकट में झुँझन वाली की,
सकलाई देखि है,

मेरे सिर पर रख दो भोले(Mere Sar Par Rakh Do Bhole)

मेरे सिर पर रख दो भोले,
अपने ये दोनों हाथ,

मेरे सरकार आये है(Mere Sarkar Aaye Hain)

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है,

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