जय महाकाली शेरावाली,
सारे जग की तू रखवाली,
तेरे दर पे आने का सजदा करूँ,
तेरी याद माँ मुझको आने लगी,
जय महाकाली शेरोवाली,
सारे जग की तू रखवाली ॥
दूर दूर से सेवक तेरे,
दर पे तेरे आते है,
रोते रोते आते है और,
हँसते हँसते जाते है,
निशदिन नाम तेरा मैं भी जपूँ,
निशदिन नाम तेरा मैं भी जपूँ,
तेरी याद माँ मुझको आने लगी,
जय महाकाली शेरोवाली,
सारे जग की तू रखवाली ॥
मैंने सुना माँ शेरावाली,
झोली सबकी भरती है,
अपने भक्तों की महाकाली,
आशा पूरी करती है,
अपने मन की बात मैं कहने चला,
अपने मन की बात मैं कहने चला,
तेरी याद माँ मुझको आने लगी,
जय महाकाली शेरोवाली,
सारे जग की तू रखवाली ॥
तेरे पावन चरण छोड़ के,
और कहाँ मैं जाऊं माँ,
तेरी बाँहों में छुप जाऊं,
गोदी में सो जाऊं माँ,
तेरे मुखड़े को माँ तकता रहूं,
तेरे मुखड़े को माँ तकता रहूं,
तेरी याद माँ मुझको आने लगी,
जय महाकाली शेरोवाली,
सारे जग की तू रखवाली ॥
जय महाकाली शेरावाली,
सारे जग की तू रखवाली,
तेरे दर पे आने का सजदा करूँ,
तेरी याद माँ मुझको आने लगी,
जय महाकाली शेरोवाली,
सारे जग की तू रखवाली ॥
हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितृ शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, उगादि पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इसलिए इसकी तिथि और मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है।
उगादि दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण नववर्ष उत्सव होता है। "उगादि" शब्द संस्कृत के "युग" अर्थात् "युग की शुरुआत" और "आदि" अर्थात् "आरंभ" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है नए युग का आरंभ।
सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।