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मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया,

जब लगा मैं गिरा,

थामा तूने लिया,

फिर दोबारा ना गिरने दिया,

मेरे ओ साँवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया ॥


अपनों की कहूं,

क्या मैं तुझसे प्रभु,

कौन अपना है ये,

जानता है भी तू,

डाल मुझ पे नज़र,

तू मेरा हमसफर,

है ये जग को बता दिया,

मेरे ओ साँवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया ॥


जिसपे पड़ जाती है,

श्याम तेरी नज़र,

डगमगाती नहीं ,

कभी उसकी डगर,

संकटों ने ना फिर,

मुडके उसकी तरफ,

रुख दोबारा कभी भी किया,

मेरे ओ साँवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया ॥


मेरी है एक अरज,

तुमसे ऐ सांवरे,

देना कुछ भी,

ना देना अहम सांवरे,

गाऊं तेरे मैं गुण,

हर जगह घूम घूम,

श्याम ने क्या से क्या कर दिया,

मेरे ओ साँवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया ॥


मेरे ओ सांवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया,

जब लगा मैं गिरा,

थामा तूने लिया,

फिर दोबारा ना गिरने दिया,

मेरे ओ साँवरे,

तूने क्या क्या नहीं किया ॥

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आषाढ़ अमावस्या के उपाय

हिंदू धर्म में पितृ दोष को अत्यंत गंभीर माना गया है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा किसी कारणवश अशांत होती है या पितरों का उचित विधि से श्राद्ध, तर्पण या पूजा न की जाए।

दर्श अमावस्या पूजा विधि

हिंदू पंचांग में प्रत्येक अमावस्या तिथि को विशेष धार्मिक महत्त्व प्राप्त है, लेकिन दर्श अमावस्या का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण एवं विशेष माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मों के लिए समर्पित होता है।

आषाढ़ अमावस्या पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह दिन पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है।

आषाढ़ अमावस्या पर क्या दान करें

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की कृपा पाने और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। 2025 में यह तिथि 25 जून, बुधवार को पड़ रही है।

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