ओ मैया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई,
पर जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई,
ओ मईया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई ॥
जब जब भी दिल मेरा,
उदास होता है,
तू मेरे पास खड़ी,
अहसास होता है,
ढूंढा तेरे जैसा माँ,
मिलता नहीं कोई ॥
कोई भी मुसीबत को,
ना पास भटकने दे,
बेटे की अँखियों से,
ना आंसू टपकने दे,
आँचल तेरे जैसा माँ,
रखता नहीं कोई ॥
जब जब भी पुकारूँ मैं,
जब भी फरियाद करूँ,
मुझे ऐसा लगता है,
तुमको नाराज करूँ,
वो गलती करता हूँ जो,
करता नहीं कोई ॥
‘बनवारी’ प्यार मेरा,
पहचानता नहीं,
मेरी गोद में बैठा है,
तू जानता नहीं,
गोदी में किसी को यूँ ही,
रखता नहीं कोई,
ये मत कहना तू मेरा,
लगता नहीं कोई,
माँ जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई ॥
ओ मैया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई,
पर जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई,
ओ मईया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई ॥
जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।
हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।
नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।