यही आशा लेकर आती हूँ,
हर बार तुम्हारे मंदिर में,
कभी नेह की होगी मुझपर भी,
बौछार तुम्हारे मंदिर में,
बौछार तुम्हारे मंदिर में ।
हे राधेश्वर गोपीवल्लभ तुम,
त्रिभुवन के आकर्षण हो,
पट तो हर दिन खुलते लेकिन,
जब भाग्य खुले तब दर्शन हो ।
होता है तुम्हारा नित नूतन,
शृंगार तुम्हारे मंदिर में,
कभी नेह की होगी मुझ पर भी,
बौछार तुम्हारे मंदिर में,
बौछार तुम्हारे मंदिर में ।
हे मुरलीधर कृष्ण-कन्हाई,
राधा रास बिहारी,
दर्शन भिक्षा मांग रहे है,
नैना दर्श भिखारी
राधा भी नहीं, मीरा भी नहीं,
मैं ललिता हूँ न विशाखा हूँ,
हे बृजराज तुम्हारे बृजत्रु की,
मैं कोमल सी इक शाखा हूँ,
इतना ही मिला आने का,
अधिकार तुम्हारे मंदिर में,
कभी नेह की होगी मुझ पर भी,
बौछार तुम्हारे मंदिर में,
बौछार तुम्हारे मंदिर में ।
राधा प्रियम, सरस सुन्दर, प्रेम धामम,
गोपी प्रियम, मदन जीत, नैनाभी रामम ।
योगी प्रियम, तव नवोदित, बाल चन्द्रम,
सर्वा प्रियम, सकल मंगल, मूल शामम ।
रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी सफलता एवं दीर्घायु की कामना करती हैं।
सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म के अनुयायी हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता।
दिवाली का दिन महालक्ष्मी का वरदान पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली की रात सबसे अधिक अंधेरी होती है, और मान्यता है कि इस रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं।