दिल्ली के रिठाला में श्री कृष्ण के जगन्नाथ रूप को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर अपने वार्षिक रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। जिसमें तीन प्रमुख देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और भगिनी सुभद्रा को विस्तृत रूप से सजा कर तीनों को अलग-अलग रथों पर विराजमान कराया जाता है और फिर उनकी यात्रा निकाली जाती है। मंदिर के निर्माण के लिए शुभ भूमि पूजन समारोह नवंबर 2011 में हुआ था। जगन्नाथ मंदिर में तीनों देवताओं की मूर्ति पवित्र नीम की लकड़ी से बनी है और इसे हर बारह साल बाद औपचारिक रूप से बदल दिया जाता है। रथ यात्रा के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त सम्मिलित होते हैं।
मंदिर के बाहर और भीतर मिलाकर कुल 1100 मूर्तियों की स्थापना की गई है। मंदिर में पूजा-पाठ उड़ीसा से आए ब्राह्मणों के द्वारा 6 आरती के साथ किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा होती है और उसके बाद प्रसाद के स्वरूप में खीर का वितरण किया जाता है। इसके अलावा मन्दिर की ओर से मासिक रुद्राभिषेक का आयोजन भी किया जाता है। इतना ही नहीं मंदिर की तरफ से कुछ-कुछ समय पर हेल्थ चेकअप कैंप और योग कैंप लगाए जाते हैं।
जगन्नाथ भगवान कौन हैं और किसके अवतार हैं? जगन्नाथ भगवान के अवतार को लेकर विष्णु पुराण, नारद पुराण और हरिवंश पुराण में विस्तार से जिक्र किया गया है। भगवान विष्णु के कई नामों में से उनका एक नाम जगन्नाथ बताया गया है और जगत पालक के रूप में ही उनकी पूजा होती है। कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में भगवान के जिस स्वरूप के दर्शन होते हैं वह द्वापर युग से जुड़ा हुआ है और इसकी कड़ियां कृष्ण कथा से जुड़ी हुई है।
छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जो पहले कवर्धा जिला कहलाता था। यहां नवरात्रि में एक विशेष धार्मिक परंपरा है। दरअसल दुर्गा अष्टमी की रात को यहां तीन प्रमुख देवी मंदिरों से खप्पर निकाले जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का थनौद गांव बहुत खास है। यहां नवरात्रि के दौरान एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां मां दुर्गा की प्रतिमाओं का श्रृंगार केवल महिलाएं ही करती हैं, जिसमें मूर्तिकारों की पत्नियां, बहनें, बेटियां और बहुएं शामिल होती हैं।
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