सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी का अत्यधिक महत्व है। यह तिथि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और 2025 में यह दिन 6 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन से चातुर्मास का शुभ आरंभ भी होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस चार महीने की अवधि में शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। देवशयनी एकादशी को विशेष फल प्राप्त करने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत करनी चाहिए और अपने राशि के अनुसार मंत्रों का जाप करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मेष (Aries)
‘ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः’ इस मंत्र का जाप मेष राशि वालों को लक्ष्मी व वासुदेव की कृपा के लिए करना चाहिए।
वृषभ (Taurus)
‘ॐ क्लीं कृष्णाय नमः’ यह मंत्र वृषभ राशि वालों को मानसिक स्थिरता और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
मिथुन (Gemini)
‘ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः’ मिथुन राशि के जातकों को यह मंत्र समृद्धि और सौभाग्य दिलाता है।
कर्क (Cancer)
‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ यह मंत्र धन की प्राप्ति और मानसिक शांति के लिए उपयोगी है।
सिंह (Leo)
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः’ सिंह राशि वालों को यह मंत्र आत्मबल और आकर्षण बढ़ाने में मदद करता है।
कन्या (Virgo)
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ यह मंत्र समृद्धि और गृहस्थ जीवन में संतुलन लाता है।
तुला (Libra)
‘ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः’ तुला राशि के जातकों को यह मंत्र व्यापार और रिश्तों में संतुलन देने वाला है।
वृश्चिक (Scorpio)
‘ॐ क्लीं कृष्णाय नमः’ इस मंत्र से वृश्चिक राशि वालों को मन की एकाग्रता और ध्यान शक्ति बढ़ती है।
धनु (Sagittarius)
‘ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः’ यह मंत्र ज्ञान, भाग्य और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
मकर (Capricorn)
‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मकर राशि के जातकों को यह मंत्र शांति और वित्तीय स्थिरता देता है।
कुंभ (Aquarius)
‘ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः’ कुंभ राशि के लिए यह मंत्र भाग्यवृद्धि और मानसिक स्पष्टता देता है।
मीन (Pisces)
‘ॐ क्लीं कृष्णाय नमः’ मीन राशि वालों को यह मंत्र मानसिक संतुलन और भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित करता है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। इस दिन घरों के बाहर गुड़ी कलश और कपड़े से सजा हुआ झंडा लगाया जाता है, जो शुभता और विजय का प्रतीक है।
चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन नकारात्मक ऊर्जा, आत्माओं और मृत पूर्वजों से जुड़ा हुआ है।
मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।
29 मार्च 2025 का दिन खगोलीय दृष्टि से बेहद खास और दुर्लभ रहने वाला है। लगभग 100 वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब सूर्यग्रहण और शनि गोचर एक ही दिन हो रहे हैं।