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गणेश विसर्जन: उत्तरण पूजा विधि और मंत्र

गणेश विसर्जन: उत्तरण पूजा विधि और मंत्र

Ganesh Visarjan 2025: गणेश विसर्जन के बाद कलश और नारियल के साथ क्या किया जाता है, यहां जानें इसका महत्व

भाद्रपद माह में चतुर्थी से चतुर्दशी तक घर-घर में गणेश चतुर्थी की उत्सव मनाई जाती है, और अंत में भक्ति के साथ ढोल की धुन पर नृत्य करते हुए भक्त बप्पा का विसर्जन आप करते हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि पूजा में इस्तेमाल किए गए कलश और नारियल का विसर्जन के बाद क्या किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि उत्तरण पूजा सही तरीके से करने पर घर में समृद्धि और सकारात्मकता आती है। 

क्षमा प्रार्थना से करें उत्तरण पूजा की शुरुआत

उत्तरण पूजा की शुरुआत में भगवान गणेश का ध्यान करें फिर उन्हें प्रणाम कर क्षमा प्रार्थना करें। इसके बाद भगवान गणेश के चरणों में पीले फूल और अक्षत अर्पित करें। भोग में मौसमी फल, मोदक और बूंदी के लड्डू भी अर्पित करें। 

पूजा के बाद शांतिपूर्वक ‘गणपतये नमः, प्रतिदिन पूजनं कृतं, यथा शक्ति कृतं मया। तत्सर्वं त्वं प्रसन्नो भूत्वा गृहाण गणनायक। आगतं त्वं यथा पूर्वं, गमिष्यसि तथैव च। पुनरागमनाय च प्रार्थयामि नमो नमः॥’ मंत्र का जाप करें। अंत में घंटी बजाकर भगवान गणेश की आरती कर फिर विसर्जन करें। 

ऐसे करें गणेश विसर्जन के बाद नारियल का उपयोग 

गणेश पूजा में रखा गया कलश और नारियल विशेष महत्व रखता है, ऐसी मान्यता है कि इसमे विसर्जन के बाद भगवान गणेश का आशीर्वाद होता है। इसलिए इसका सही तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण माना जाता है। 

भगवान गणेश की पूजा में उपयोग किया गया नारियल घर के सभी सदस्यों को प्रसाद स्वरूप बांट दे। लेकिन अगर नारियल का उपयोग कलश पूजा में किया गया है तो भगवान गणेश के साथ इसका विसर्जन करें। कुछ स्थानों पर लोग इसे मिट्टी में गाड़ देते हैं, ताकि यह अंकुरित हो और गणेश जी का आशीर्वाद सदैव बना रहे। 

कलश जल का महत्व 

कलश में रखा जल पूजा के दौरान पवित्र हो जाता है और विसर्जन के बाद इसे घर में छिड़कने की परंपरा होती है। ऐसा करने से न केवल घर शुद्ध होता है बल्कि घर में सकारात्मक और सुख-शांति का संचार भी होता है। कुछ लोग इस जल का उपयोग पौधों को पानी देने के लिए करते हैं, लेकिन इसे तुलसी के पौधे में न डाले। 

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