हिंदू धर्म में पितृपक्ष को 16 दिनों का बहुत ही शुभ समय माना जाता है, इस समय में हम अपने पूर्वजों की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके लिए पिंडदान, तर्पण तथा श्राद्ध भी करते हैं। इस वर्ष 16 दिनों का पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है और 21 सितंबर को समाप्त होगा। इसलिए इस समय आध्यात्मिक रूप से जीना और कुछ गलतियों से बचना महत्वपूर्ण माना जाता है, जो हमारे पूर्वजों को नाराज कर सकती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में शारीरिक संबंध और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। जैसे विवाह, सगाई आदि क्योंकि यह समय श्राद्ध और आत्मा की शुद्धि के लिए होता है न कि कोई भी उत्सव के लिए। इसके अलावा इस समय बाल, दाढ़ी या नाखून काटना अशुभ माना जाता है और यह पूर्वजों के प्रति अनादर होता है।
पितृपक्ष में लोग पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई चीजें दान करते हैं लेकिन अगर आपने कभी सरसों का दान किया है तो रुकें, क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता है। सरसों तामसिक भोजन के अंतर्गत आता है, जो श्राद्ध पूजा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
पितृपक्ष का समय किसी भी उत्सव के लिए शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस समय में कोई नया व्यवसाय शुरू न करें या कोई यात्रा की योजना भी न बनाएं।
पितृपक्ष के 16 दिनों की अवधि में विशेष रूप से मांसाहारी भोजन न खाएं क्योंकि यह आपके भाग्य को प्रभावित करता है। इससे आपके पितृ नाराज होते हैं, और पितृ दोष उत्पन्न होता है, जो सुखी जीवन के लिए बहुत बुरा और हानिकारक माना जाता है।