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छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। यह 04 दिनों तक चलने वाला पर्व है। जो शुद्धता, संकल्प और यम- नियमों पर आधारित है। इस पूजा का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इसमें व्रती लोग स्नान करते हैं और शुद्ध एवं सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। सूर्य देव और छठी मईया की आराधना के लिए इस पर्व को विशेष माना जाता है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से यह पर्व शुरू होता है और सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।
घर की सफाई और स्नान: नहाय-खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की अच्छे से सफाई करनी चाहिए। इस दिन का उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना है ताकि पूजा में किसी तरह की अशुद्धि ना हो। इसके बाद स्नान करके साफ या नए वस्त्र पहनें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव ना हो तो घर में स्नान के जल में थोड़ा गंगाजल मिला सकते हैं।
व्रत का संकल्प और सूर्य को अर्घ्य: स्नान के बाद व्रती छठ पूजा का संकल्प लें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य देव की आराधना छठ पूजा का मुख्य अंग है। सूर्य देव की पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है और व्रती की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अर्घ्य देने के लिए पीतल के पात्र का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
भोजन में शुद्धता का विशेष ध्यान: नहाय-खाय के दिन बनने वाले भोजन में सात्विकता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है। इस दिन भोजन में प्याज, लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता। विशेष रूप से चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का ही सेवन किया जाता है। भोजन को बनाने में केवल नए या साफ किए गए बर्तनों का ही उपयोग करें जिससे शुद्धता बनी रहे।
पहले सूर्य देव को अर्पित करें भोजन: नहाय-खाय के दिन बनाया हुआ भोजन सबसे पहले सूर्य देव को अर्पित करना चाहिए। उसके बाद ही व्रती इस भोजन का सेवन करें। यह परंपरा पूजा में श्रद्धा और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन का भोजन सबसे पहले वही व्रती ग्रहण करते हैं जिन्होंने छठ का व्रत रखा है, फिर अन्य परिवार के सदस्य इसे ग्रहण कर सकते हैं।
पूरे परिवार ग्रहण करें सात्विक भोजन: नहाय-खाय के दिन केवल व्रती ही नहीं बल्कि परिवार के अन्य सदस्य भी सात्विक भोजन ही करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सात्विक भोजन करने से वातावरण में सकारात्मकता बनी रहती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय छठ पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन व्रती और उनके परिवार के सदस्य सात्विक भोजन का सेवन करते हैं और मन तथा शरीर दोनों की शुद्धि के संकल्प के साथ इस व्रत का आरंभ करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नहाय-खाय नए जीवन की शुरुआत का भी प्रतीक है और यह दिन पुराने पापों से मुक्ति का संकल्प लेने के लिए खास माना जाता है।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष नहाय-खाय 5 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6:39 बजे है और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा। इस समय के दौरान व्रती पूजा और सूर्य देव की आराधना कर सकते हैं।
नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं साफ-सफाई के बाद गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करती हैं। ध्यान रखें कि इस दिन भोजन बहुत ही सात्विक और पवित्र होता है। चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को भोजन में प्रमुखता दी जाती है। नहाय-खाय का दिन छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन स्नान, शुद्ध भोजन और सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है। ये सभी धार्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए आवश्यक माने जाते हैं।
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