Logo

मांगलिक कार्यों में क्यों लगाई जाती है हल्दी?

मांगलिक कार्यों में क्यों लगाई जाती है हल्दी?

धार्मिक अनुष्ठानों में हल्दी का महत्व क्या है, यहां जानें


हिंदू धर्म में हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हल्दी के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति से बताया गया है। इतना ही नहीं किसी भी पूजा-पाठ में हल्दी सबसे महत्वपूर्ण सामग्री मानी जाती है। आपको बता दें, हल्दी को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हल्दी बृहस्पति ग्रह से जुड़ी हुई है। बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है। इसलिए हल्दी लगाने से बृहस्पति देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। हल्दी लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब ऐसे में मांगलिक कार्यों में हल्दी लगाने का महत्व क्या है और विवाह से पहले दुल्हा-दुल्हन को हल्दी क्यों लगाई जाती है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 



हल्दी करता है देव गुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व


पीला रंग, जो बृहस्पति, सूर्य और मंगल ग्रहों से संबंधित है, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है और हल्दी, जो बृहस्पति से जुड़ी है, शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को लगाई जाती है। यह न केवल वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने में मदद करती है बल्कि बृहस्पति की कृपा से नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है। गुरुवार का व्रत भी बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिससे विवाह संबंधों में सुधार होता है।



हल्दी भगवान विष्णु को है बेहद प्रिय


हल्दी का पीला रंग सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु को भी पीले रंग से जोड़ा जाता है। विवाह जैसे शुभ अवसरों पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिसमें हल्दी का विशेष महत्व होता है। इसलिए गुरुवार को, जो भगवान विष्णु का दिन माना जाता है, उन्हें केले समेत पीले रंग की चीजें अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से नवविवाहित जोड़े का जीवन सुखमय होता है।


मांगलिक कार्यों में हल्दी का महत्व


हल्दी को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। मांगलिक कार्यों में इसका उपयोग करके वातावरण को पवित्र किया जाता है। हल्दी को भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है। मांगलिक कार्यों में इसका उपयोग करके देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। हल्दी को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का कारक माना जाता है।  भारतीय संस्कृति में हल्दी का पीला रंग सदियों से शुभता का प्रतीक रहा है। यह माना जाता है कि हल्दी का यह सुनहरा रंग नवविवाहित जोड़े के जीवन में समृद्धि, सुख और सौभाग्य लेकर आता है। 



पीला रंग है अग्नि तत्व का कारक 


हिंदू धर्म को अग्नि का बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं पंचतत्व में अग्नि भी शामिल है। अग्नि में लाल, पीला और केसरिया रंग दिखाई देते हैं। आपको बता दें, हवन कुंड में जलती हुई अग्नि पीले और गहरे पीले रंग की दिखाई देती है। पीले रंग को ताप और ऊष्मा से भी संबंध बताया गया है। इसलिए इन रंगों को नया जीवन, उल्लास, प्रेम और मंगल कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले रंग माना जाता है।


........................................................................................................
हुई गलियों में जय जयकार (Hui Galiyon Mein Jai Jaikaar)

हुई गलियों में जय जयकार,
आया गणपति तेरा त्यौहार ॥

हर बात को भूलो मगर.. (Har Baat Ko Tum Bhulo Bhale Maa Bap Ko Mat Bhulna)

हर बात को भूलो मगर,
माँ बाप मत भूलना,

हर देश में तू, हर भेष में तू - प्रार्थना (Har Desh Me Tu Har Bhesh Me Tu)

हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang