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नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति मां जगदम्बा के नौ अलग अलग स्वरूपों को पूजा जाता है। नवरात्रि में मैय्या शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री को क्रमश: प्रथमा से नवमी तिथि तक बड़े भाव से ध्याया जाता है। मां के सभी रुप अलग हैं और इनकी पौराणिक कथाएं भी भिन्न हैं। लेकिन एक चीज जो मैय्या के हर रूप में विद्यमान है वो है मैय्या का श्रृंगार। मैय्या के रौद्र रूप में भी मां श्रंगारित है और यह श्रंगार सुहाग का प्रतीक है। तो भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक लेख की कड़ी में हम आपको बताते हैं मैय्या के श्रृंगार और उसके महत्व के बारे में विस्तार से।
सिंदूर सुहाग का प्रतीक है। सुहागनों के सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। यह मां दुर्गा के श्रृंगार की प्रमुख वस्तु है और माता सिंदूर लगाकर भगवान शिव के प्रति अपना समर्पण व्यक्त करती हैं।
यह मां की आंखों की सुंदरता बढ़ाने के साथ स्त्री को बुरी नजर से बचाने के प्रतीक के रूप में श्रृंगार में शामिल किया गया है।
शुभ और मंगलमय जीवन की प्रतिनिधि के रूप में मां ने मेहंदी रचाई है। मेहंदी के बिना हर सुहागन स्त्री का श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
मां दुर्गा को लाल रंग का जोड़ा बहुत प्रिय है। नवरात्रि के दौरान माता बहनें लाल रंग के वस्त्र धारण कर मां की पूजा करती हैं और मैय्या को लाल चुनरी चढ़ाती है। लाल चुनरी चढ़ाने से माता का सर्वाधिक प्रसन्नता होती है।
मां दुर्गा को मोगरे का गजरा बेहद प्रिय है। इस बात का वर्णन सनातन धर्म के पौराणिक ग्रंथों में है। मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में महिलाएं बालों में मोगरे का गजरा लगाती हैं।
मांग का टीका सुहाग की निशानी है। यह सिर के बीचों-बीच इसलिए होता है ताकि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवनसाथी के साथ सही और सीधे मार्ग पर चलती रहें और दोनों के बीच परस्पर संतुलन बना रहे।
मां ने नथ धारण कर संयमित और नियंत्रित जीवन का संदेश महिलाओं को दिया है। सुहागिन स्त्रियों को नाक में आभूषण पहनना अनिवार्य है जो सुहाग की निशानी भी है।
बुराई करने और सुनने से बचने के लिए मैय्या ने कान में झुमके पहने हैं। यह स्त्री के चेहरे की सुंदरता को बढ़ाने का भी काम करते हैं।
सुहाग की सबसे प्रथम और बड़ी निशानी मंगलसूत्र है जो मां ने धारण किया है। यह शादीशुदा महिलाओं का सबसे खास और पवित्र गहना है। मंगलसूत्र में पिरोए गए काले मोतियों को लेकर मान्यता है कि यह महिलाओं को लोगों की बुरी नजरों से बचाते हैं।
मैय्या ने यह आभूषण अपनी बाहों में पहन रखा है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार स्त्रियों के बाजूबंद पहनने से परिवार में धन की कमी नहीं होती।
मैय्या ने हाथों में लाल रंग की चूड़ियां पहन रखी है, जो सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं हरे रंग की चूड़ियां परिवार की समृद्धि का प्रतीक कही गई हैं।
माता ने अपनी कमर पर कमरबंध बांधा है। महिलाओं का कमरबंध प्रतीक है कि सुहागनें अपने घर की मालकिन या स्वामिनी होती हैं।
माता दुर्गा ने अपने पैरों की अंगुलियों में बिछिआ पहनीं है। यह वैवाहिक और सामाजिक मर्यादाओं और बंधनों का प्रतीक है। साथ ही यह जीवन में परेशानियों का हिम्मत से मुकाबला करने की प्रेरणा देती है।
मैय्या के पैरों में सुंदर पायल है। इसका उल्लेख मैया के भजनों और गरबा नृत्य में विशेष रूप से किया गया है। यह सुहागनों के लिए सांसारिक बंधनों और मर्यादा का प्रतीक है।
माता के माथे के बीचों-बीच लगीं सुंदर बिंदी उनके आभा मंडल की कांति को और बढ़ा रही है। महिलाओं के लिए बिंदी सुंदरता और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है।
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